खोया हुआ लड़का 

सन्त लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार
15:01-03, 11-32 

ईसा का उपदेश सुनने के लिए नाकेदार और पापी उनके पास आया करते थे। फ़रीसी और शास्त्री यह कहते हुए भुनभुनाते थे, "यह मनुष्य पापियों का स्वागत करता है और उनके साथ खाता-पीता है"। इस पर ईसा ने उन को यह दृष्टान्त सुनाया, ईसा ने कहा, "किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। छोटे ने अपने पिता से कहा, ’पिता जी! सम्पत्ति का जो भाग मेरा है, मुझे दे दीजिए’, और पिता ने उन में अपनी सम्पत्ति बाँट दी। थोड़े ही दिनों बाद छोटा बेटा अपनी समस्त सम्पत्ति एकत्र कर किसी दूर देश चला गया और वहाँ उसने भोग-विलास में अपनी सम्पत्ति उड़ा दी। जब वह सब कुछ ख़र्च कर चुका, तो उस देश में भारी अकाल पड़ा और उसकी हालत तंग हो गयी। इसलिए वह उस देश के एक निवासी का नौकर बन गया, जिसने उसे अपने खेतों में सूअर चराने भेजा। जो फलियाँ सूअर खाते थे, उन्हीं से वह अपना पेट भरना चाहता था, लेकिन कोई उसे उन में से कुछ नहीं देता था। तब वह होश में आया और यह सोचता रहा-मेरे पिता के घर कितने ही मज़दूरों को ज़रूरत से ज़्यादा रोटी मिलती है और मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ। मैं उठ कर अपने पिता के पास जाऊँगा और उन से कहूँगा, ’पिता जी! मैंने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके प्रति पाप किया है। मैं आपका पुत्र कहलाने योग्य नहीं रहा। मुझे अपने मज़दूरों में से एक जैसा रख लीजिए।’ तब वह उठ कर अपने पिता के घर की ओर चल पड़ा। वह दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देख लिया और दया से द्रवित हो उठा। उसने दौड़ कर उसे गले लगा लिया और उसका चुम्बन किया। तब पुत्र ने उस से कहा, ’पिता जी! मैने स्वर्ग के विरुद्ध और आपके प्रति पाप किया है। मैं आपका पुत्र कहलाने योग्य नहीं रहा।’ परन्तु पिता ने अपने नौकरों से कहा, ’जल्दी अच्छे-से-अच्छे कपड़े ला कर इस को पहनाओ और इसकी उँगली में अँगूठी और इसके पैरों में जूते पहना दो। मोटा बछड़ा भी ला कर मारो। हम खायें और आनन्द मनायें; क्योंकि मेरा यह बेटा मर गया था और फिर जी गया है, यह खो गया था और फिर मिल गया है।’ और वे आनन्द मनाने लगे। "उसका जेठा लड़का खेत में था। जब वह लौट कर घर के निकट पहुँचा, तो उसे गाने-बजाने और नाचने की आवाज़ सुनाई पड़ी। उसने एक नौकर को बुलाया और इसके विषय में पूछा। इसने कहा, ’आपका भाई आया है और आपके पिता ने मोटा बछड़ा मारा है, क्योंकि उन्होंने उसे भला-चंगा वापस पाया है’। इस पर वह क्रुद्ध हो गया और उसने घर के अन्दर जाना नहीं चाहा। तब उसका पिता उसे मनाने के लिए बाहर आया। परन्तु उसने अपने पिता को उत्तर दिया, ’देखिए, मैं इतने बरसों से आपकी सेवा करता आया हूँ। मैंने कभी आपकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया। फिर भी आपने कभी मुझे बकरी का बच्चा तक नहीं दिया, ताकि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द मनाऊँ। पर जैसे ही आपका यह बेटा आया, जिसने वेश्याओं के पीछे आपकी सम्पत्ति उड़ा दी है, आपने उसके लिए मोटा बछड़ा मार डाला है।’ इस पर पिता ने उस से कहा, ’बेटा, तुम तो सदा मेरे साथ रहते हो और जो कुछ मेरा है, वह तुम्हारा है। परन्तु आनन्द मनाना और उल्लसित होना उचित ही था; क्योंकि तुम्हारा यह भाई मर गया था और फिर जी गया है, यह खो गया था और मिल गया है’।"

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