लौदातो सी  ( Laudato Si)

संत पापा फ्राँसिससंत पापा फ्राँसिस

लौदातो सी (जलवायु एक आम अच्छी बात है, सभी से संबंधित है और सभी के लिए है।)

हम ऐतिहासिक समय से गुजर रहे हैं क्योंकि कोरोना वायरस महामारी ने हमारी दुनिया को उलटकर रख दिया है। लेकिन लॉदातो-सी हमें एक बेहतर दुनिया का निर्माण करना सिखाते हैं।
पोप फ्रांसिस ने कैथोडिक्स को लौदातो सी सप्ताह, 16-24 मई 2020 में भाग लेने के लिए हर जगह से लोगों को आमंत्रित किया है। हम एक कैथोलिक परिवार के रूप में प्रतिबिंबित करने, प्रार्थना करने और कल और टिकाऊ कल के लिए तैयार होने के लिए आ रहे हैं।
इस वैश्विक पहल में अग्रणी भागीदार के रूप में, फेडरेशन ऑफ एशियन बिशप्स कॉन्फ्रेंसेस - ऑफिस ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट चेंज डेस्क ने हमें एशिया भर में कैथोलिकों के साथ खड़े होने के लिए आमंत्रित किया है क्योंकि हम एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए इस पल के संकट से गुजरते हैं।
एफएबीसी-ओएचडी (मानव विकास और जलवायु परिवर्तन कार्यालय का कार्यालय) ने विभिन्न गतिविधियों की एक छोटी पुस्तिका तैयार की है जो समूहों और परिवारों द्वारा लॉक डाउन अवधि के दौरान प्रत्येक दिन लॉदातो-सी सप्ताह मनाने के लिए आयोजित की जा सकती है।
हमें FABC-OHD द्वारा अनुरोध किया जाता है कि इसे अन्य धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धार्मिक, समुदायों, परिवारों के साथ साझा करें और वैश्विक चर्च आंदोलन का हिस्सा बनें।
तो आइए, पोप फ्रांसिस के निमंत्रण को स्वीकार करते हैं और लॉदातो-सी सप्ताह मनाते हैं।

 क्या है Laudato Si? 

आपकी स्तुति हो', संत पापा फ्रांसिस के द्वारा  2015 को जारी किये गये नये पर्यावरणीय परिपत्र का यही शीर्षक है । यह एक नई दिशा को दिखाने वाला दस्तावेज है , जिसके जरिये कलीसिया प्रत्येक व्यक्ति में “पर्यावरणीय परिवर्तन" की शिक्षा को पैठ कराने की आशा करती है, इसके पहले कि हमारे सार्वजनिक आवास घर - पृथ्वी, को बचाने में और देरी न हो जाये। पर्यावरण संरक्षण पर संत पापा के विचार दिसम्बर में पेरिस में आयोजित होने वाली संयुक्त राष्ट्रसंघ की जलवायु परिवर्तन की कान्फेन्स को बहुत अधिक प्रभावित कर सकती है, जिसमें राष्ट्रों को कार्बन उत्सर्जन एवं पृथ्वी के गर्म होने को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की प्रक्रिया को शुरू करने के समझौते के लिए दबाव बन सकता है।
परिपत्र का शीर्षक संत फ्रांसिस की प्रार्थना" आपकी स्तुति हो, मेरे प्रभु", से प्रेरित है, जो कि उनके भजन से लिया गया है । यह स्मरण कराता है कि इस संसार की प्रत्येक चीज जुड़ी हुई है – हवा , पानी , भूमि , पौधे और वन, पशु, पक्षी, मानव और अन्य तत्व, जीवित रहने के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहते है, परन्तु मानवजाति ने इस पृथ्वी का किस तरह से दुरूपयोग किया, कि विगत कई वर्षों से वह मदद की गुहार लगा रही है। इस सुन्दर पृथ्वी को समकालीन सम्यता की एक परिष्कृत उजाड़ भूमि में बदला जा रहा है । 
Laudato Si में छ : अध्याय हैं। पहला अध्याय वैज्ञानिक निष्कर्ष पर आधारित जलवायु प्रणाली की दशा को प्रस्तुत करता है, इस धारणा को झुठलाता है कि जलवायु परिवर्तन केवल पृथ्वी की प्राकृतिक " टूट - फूट " का भाग है । ' अपशिष्ट ' की संस्कृति जो कि कूड़ा - करकट और प्रदूषण को पैदा करते हैं, जल निकायों, जैव - विविधता और अनाज उत्पादन, पर उसके नुकसान के प्रभाव द्वारा गरीबों और जरूरतमंदो की जीविका को नुकसान पहुंचाते है, इन पर संत पापा ने विस्तार से चर्चा की है।
दूसरा अध्याय सृष्टि और मनुष्य द्वारा उसके प्रबंधन के लिए बाईबल का आधार निर्धारित करता है, जो कि रक्षा करने वाले के रूप में एक दूसरे से और ईश्वर की सभी सृष्टि से जुड़े हुए हैं । संत पापा पाठकों को चेतावनी देते हैं कि मनुष्य द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के दुरूपयोग और शोषण को न्यायसंगत ठहराना सृष्टि के विरूद्ध केवल एक अपराध ही नहीं है, बल्कि सृष्टिकर्ता और मुक्तिदाता ईश्वर के साथ संबंधों को तोड़ना भी है। तीसरा अध्याय पर्यावरणीय संकट के कारणों पर विचार करता है। संत पापा कहते हैं कि संसार का मानव केन्द्रीत पहलू जिसमें जीवित एवं निर्जीव सृष्टियों ( anthropocentrism ) को अलग थलग करने के परिमाणस्वरूप मनुष्य द्वारा प्रकृति पर प्रभुत्व जमाने एवं एवं नियन्त्रण करने के रूप में सामने आया है। इनसे मनुष्य में लालच और स्वार्थ पैदा हो गये हैं। प्राकृतिक संसाधनों के गैर कानूनी शोषण के द्वारा धन - दौलत संग्रह किया जा रहा है। उदारीकरण , निजीकरण एव वैश्वीकरण की नई आर्थिक सोच अधिक लाभ और भ्रष्ट व्यवहार के लिए मुख्य कारण हैं। ज्ञान का अनुचित उपयोग एवं वैज्ञानिक खोजों का दुरूपयोग संसार में मानव द्वारा प्रेरित महाविपदा एवं विध्वंस का कारण बन रहे हैं, जो प्रतिवर्ष लाखों लोगों का उनके जीवन, घरों, सम्पत्ति और जीविका के साधनों से वंचित कर रहे हैं। 
अध्याय चार में, संत पापा एक आधारभूत पर्यावरण का प्रस्ताव करते हैं जो कि मानवीय और सामाजिक आयाम का, न्याय के एक नये आदर्श के रूप में स्पष्टतया सम्मान करते हैं। यह केवल प्रकृति का ध्यान रखने तक सीमित नहीं है बल्कि उससे जुड़ी हर चीज से है। क्योंकि पर्यावरणीय मुद्दे कोई अकेली समस्या नहीं हैं, परन्तु एक संकटावस्था है जो कि व्यक्तियों, परिवारों, रोजगार, समुदायों, संस्थाओं और समाज के सभी पहलुओं और दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। शहरी जीवन पर भी ध्यान दिया गया है, यह व्यक्त किया गया है कि प्रामाणिक विकास को मानव जीवन, जैसे मकान, स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल, यातायात आदि , के सुधार की ग्यारन्टी देना चाहिए। 
अध्याय पाँच एक कार्य योजना को प्रस्तुत करता है, जो कि स्थानीय, राष्ट्रीय या अंर्तराष्ट्रीय स्तरों पर समझ और पारदर्शी निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने का आव्हान करता है । संत पापा ने यह टिप्पणी की है कि जो पद और सत्ता में है और समस्याओं के हल के लिए आगे नहीं आते, उन्हें उनकी अयोग्यता के लिए याद किया जायेगा। उनको निर्णय लेने में साहसिक बनना होगा और अपने पीछे निस्वार्थ जिम्मेदारी का एक साक्ष्य छोड़ना होगा। 
अध्याय छ : में संत पापा व्यक्तियों में एक जिम्मेदार अन्तरात्मा का आव्हान करते हैं, जो कि तीव्र पर्यावरणीय परिवर्तन की ओर पर्यावरण की मनोवृति को बदलने में सहायक होगा, जिसे प्रेरणा एवं शिक्षा के सहयोग द्वारा परिवारों, स्कूलों, मीडिया और संवाद से प्रारम्भ किया जाये। संत पापा कहते हैं कि ऐसा परिवर्तन, व्यक्तियों को सशक्त बनायेगा, ताकि वह जो कुछ करता है, उस तरीके को बदलने के लिए, वे राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को प्रभावित करेगें, अंततः पर्यावरणीय परिवर्तित नागरिक बन जायेंगे।
संत पापा घर पर या समुदाय में, इस आंतरिक परिवर्तन को शुरू करने के लिए अनेकों तरीकों का सुझाव देते हैं। कुछ उदाहरण हैं : प्रयोग की गई वस्तु का पुनः उपयोग, उत्पादन के लिए ऐसे प्रारूप को अपनाना जो कि संसाधनों को वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित करने में सक्षम, अपूर्व संसाधनों के इस्तेमाल को सीमित करना, जहां तक संभव हो उनके इस्तेमाल, पुन - प्रयोग और पुनः उपयोग के द्वारा अधिकतम उपयोगी बनाना। हरीत वाहनों का उपयोग करें और हरियाली से अच्छादित घर बनायें। कच्चे माल का इस्तेमाल कम करें, ऐसे बिल्डिंग बनाये जिसमें ऊर्जा की कार्यक्षमता को बढ़ाये। कृषि रसायनों, डिर्टजेन्ट्स, कूड़ा - कचरा और हानिकारक तत्वों से जल को प्रदूषित होने से बचायें। पर्यावरण के लिए हानिकारक, एवं विनाशकारी कील को नुकसान पहुचाने वाले कीटनाशक के उपयोग को सीमित करें। बिजली बचायें, अधिक ऊर्जा की खपत करने वाले अधिक शक्ति वाले एयर - कोडिश्नर एवं यंत्रों के इस्तेमाल से बचें । संत पापा ऐसे और बहुत सारे प्रायोगिक समाधान देते हैं , जिनको अक्सर नजरादाज किया जाता है या उसे महत्व नहीं दिया जाता है।
दुनिया की प्रतिक्रियाः संत पापा ने विश्व के नेताओं को सलाह दी है कि वे ऊच्च सिद्धान्तों और लंबे समय के लिए सामान्य भलाई को बनायें रखें, इसके लिए भले ही उनको कठिन निर्णय ही क्यों न लेना पड़े। अमेरिकी के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस परिपत्र का स्वागत किया था और जलवायु परिवर्तन घटाने के लिए साहसिक क्रियान्व्यन का आव्हान किया था और आशा व्यक्त की कि दिसम्बर में पेरिस में आयोजित होने वाले विश्व जलवायु विचार विमर्श के दौरान संत पापा के " हमारे सार्वजनिक वास " की देखभाल पर मनन -चिंतन करेंगे। उन्होंने घोषणा की कि 2027 तक बड़े वाहनों के कार्बन उत्सर्जन में 24 % तक की कटौती करेंगे। इससे अमेरिका एवं चीन के सुरक्षा एवं आर्थिक नेताओं के बीच अन्य बातों के अलावा जलवायु परिवर्तन पर संवाद करने को प्रोत्साहन मिला। " परिपत्र का दूरगामी प्रभाव होगा। यह जलवायु परिर्वतन को सामयिक तरीके से ध्यान देने के लिए नैतिक अनिवार्यता बतायेगा ताकि अति संवेदनशील को बचाया जा सके", संयुक्त = राष्ट्र संघ के जलवायु मुखिया क्रिस्टीना फिगुएरा ने कहा। न उपसंहारः संत पापा फ्रांसिस या काथलिक कलीसिया का पर्यावरण की देखभाल पर यह अंतिम शब्द नहीं है। इसमें कोई शक नहीं कि भविष्य में भी इस विषय की परिचर्चा में Laudato Si को उदधृत किया जायेगा । संत पापा फ्रांसिस, आपकी स्तुति हो।

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