पोप फ्रांसिस ने लौदातो सी कार्य मंच का उद्घाटन किया।

पोप फ्रांसिस ने लौदातो सी कार्य मंच जारी किये जाने के अवसर पर, एक संदेश भेजा। इसी के साथ लौदातो सी वर्ष का समापन किया गया किन्तु हमारे आमघर की देखभाल के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
मंगलवार 25 मई को लौदातो सी मंच जारी किये जाने के अवसर पर पोप फ्रांसिस ने एक वीडियो संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने गौर किया है कि प्रेरितिक विश्व पत्र "लौदातो सी" जिसको 2015 में प्रकाशित किया गया था, सभी भली इच्छा रखने वाले लोगों को निमंत्रण देता है कि वे पृथ्वी की देखभाल करें जो हमारा आमघर है।"
पोप फ्रांसिस ने दुःख प्रकट करते हुए कहा, "यह घर जो हमारी मेजबानी करता है, लम्बे समय से पीड़ित है, उन घावों से जिनको हमने अपने हिंसक रवैया से दिया है।"  
उन्होंने जोर दिया कि वास्तव में, "मौजूदा महामारी ने, अब प्रकृति और सबसे अधिक परिणाम भुगतने वाले गरीबों के रोने को, और भी मजबूत तरीके से प्रकाश में लाया है, यह उजागर करते हुए कि सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है और अन्योन्याश्रित है एवं हमारा स्वास्थ्य, पर्यावरण के स्वास्थ्य से अलग नहीं है।"
उन्होंने कहा, यही कारण है कि हमें "एक नए पारिस्थितिक दृष्टिकोण" की आवश्यकता है। इस तरह हम "दुनिया में रहने के अपने तरीके, जीने की हमारी शैली, पृथ्वी के संसाधनों के साथ हमारे संबंध और सामान्य रूप से, मानवता और जीवन जीने के हमारे तरीके को बदल सकेंगे।"
पोप फ्रांसिस ने चेतावनी देते हुए कहा, "हमारे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है, खासकर, भावी पीढ़ी के संदर्भ में।" हम अपने बच्चों एवं हमारे युवाओं के लिए किस तरह की दुनिया छोड़ना चाहते हैं? हमारा स्वार्थ, हमारी उदासीनता और हमारे गैर-जिम्मेदारी पूर्ण तरीके हमारे बच्चों के भविष्य के लिए खतरे की चेतावनी दे रहे हैं।"
पोप फ्रांसिस ने अपनी अपील दुहराते हुए कहा, "आइये, हम हमारी माता पृथ्वी की देखभाल करें, हम स्वार्थ के प्रलोभन से ऊपर उठें जो हमें संसाधनों का शिकारी बनाता है। आइये, हम पृथ्वी एवं सृष्टि के उपहार का सम्मान करें, एक ऐसी जीवनशैली एवं समाज की शुरूआत करें जो पर्यावरण समर्थक हो, हमारे लिए अवसर है कि हम सभी के लिए बेहतर कल की तैयारी करें। ईश्वर के हाथों से हमने एक वाटिका को ग्रहण किया है, हम अपने बच्चों के लिए एक मरूस्थल को नहीं छोड़ सकते।"
पोप फ्रांसिस ने लौदातो सी कार्य मंच के बारे बतलाया कि यह एक "सात वर्षों की यात्रा" है जिसमें हमारे समुदाय अभिन्न पारिस्थितिकी की भावना में पूरी तरह सशक्त होने के लिए विभिन्न रूपों में प्रतिबद्ध होंगे।  
पोप फ्रांसिस ने सभी को निमंत्रण दिया कि इस "यात्रा में एक साथ आगे बढ़ें" तथा इसमें भाग लेने के लिए परिवारों, पल्लियों, धर्मप्रांतों, स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों, अस्पतालों, व्यापार केंद्रों एवं फार्म, संगठनों, दलों, अंदोलनों और धर्मसंघी संस्थाओं का विशेष रूप से आह्वान किया।
पोप फ्रांसिस ने जोर दिया, "एक साथ काम करें, क्योंकि केवल यही रास्ता है जिसके द्वारा हमारी चाह के अनुसार भविष्य का निर्माण संभव है ˸ एक अधिक समावेशी, भाईचारापूर्ण, शांतिमय और सतत् विश्व।"
अपने संदेश के अंत में पोप फ्रांसिस ने याद किया कि उम्मीद बाकी है यदि हरेक अपनी संस्कृति एवं अनुभव के अनुसार, अपनी पहल एवं क्षमता के अनुसार, एक साथ काम करेगा तो हमारी धरती माता की रक्षा की जा सकेगी, उसकी असली सुन्दरता को बचाया जा सकेगा एवं सृष्टि पुनः एक बार ईश्वर की योजना के अनुसार चमकने लगेगा।

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