विश्व की एक तिहाई महिलाएँ हिंसा के भय में।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा को दूर करने हेतु विश्व दिवस की याद करते हुए स्पेन के काथलिक संगठन ने खेद प्रकट किया है कि विश्व में करीब 30 प्रतिशत महिलाएँ हिंसा के भय में जीतीं हैं।
बुधवार 25 नवम्बर को, महिलाओं के खिलाफ हिंसा दूर करने के लिए अंतराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य है महिला हिंसा पर जागृति लाना, जिसको संयुक्त राष्ट्र "छाया महामारी" नाम देता है। 

स्पानी एनजीओ मानोस उनिदास (एकजुट हाथ) ने अपनी आवाज उन लोगों के साथ शामिल की है जिनकी स्थिति में असंख्या महिलाएँ अपने को पाती हैं। काथलिक संगठन के महासचिव रिकार्दो लोय के अनुसार "समाज शोषण और हिंसा के लिए उदासीन होकर नहीं रह सकता। हम उन 30 प्रतिशत महिलाओं और युवतियों के साथ नहीं रह सकते जिन्हें हिंसा का भय है जो बोल नहीं सकती अथवा प्रतिक्रियाओं से डरती हैं...और ये सभी समाजों की विस्तृत उदासीनता का चेहरा है।"

चौंका देने वाले आंकड़े :- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, करीब एक तिहाई महिलाओं को अपने पुरूष साथी से शारीरिक अथवा यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र की महिलाएँ कहती हैं कि कोविड -19 महामारी के कारण इस साल की शुरुआत में व्यापक रूप से तालाबंदी के दौरान कई देशों में घरेलू हिंसा में 30% की वृद्धि हुई।

हालाँकि, एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि 30 देशों के डेटा से संकेत मिलता है कि केवल 1% महिलाओं ने कभी पेशेवर मदद मांगी है। 2013 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को "महामारी के समान एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या" कहा था। लोय ने कहा कि मानोस उनिदास राष्ट्रों को विकसित करने के लिए कई क्षेत्रों में कार्य कर रहा है क्योंकि हिंसा शारीरिक रूप में अथवा घर-परिवार तक सीमित नहीं है।

उन्होंने कहा कि काथलिक एनजीओं के द्वारा संचालित शिक्षा का उद्देश्य है, उन धार्मिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं का सामना करना जो शारीरिक रूप से महिलाओं को हानि पहुँचाती हैं अथवा उन्हें अदृश्य और बहिष्कृत करती हैं।

जागृति लाना :- मानोस उनिदास संगठन ने सियेरा लेओने में एक योजना के द्वारा उदाहरण पेश किया है जहाँ महिलाएँ एवं लड़कियाँ बहुत अधिक हिंसा से मौन और आर्थिक समस्या की शिकार होती हैं।

कारितास फ्रीटाउन के निदेशक फादर पीटर कोनतेह ने कहा कि वे अक्सर बलात्कार की शिकार होती हैं जिसको प्रधानमंत्री ने 2018 में राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति घोषित किया था। "उन्होंने बलात्कार के मामलों से निपटने के लिए, खासकर, बच्चों के खिलाफ, एक पुलिस इकाई की स्थापना की थी।"

मौन की संस्कृति को समाप्त करना :- फादर कोनतेह ने कहा कि मानोस उनिदास की मदद से स्थानीय कारितास, मौन की संस्कृति का सामना करने में सक्षम रही है जो पीड़ितों को अधिकारियों के पास जाने से रोक देती थी।  

उन्होंने कहा, "अब महिलाएँ, लड़कियाँ और परिवार शोषण के बारे खुलकर बातें कर पाते हैं और दोषियों को न्याय के लिए सामने लाया जाता है।" फादर कोनतेह का कहना है कि योजना की सबसे बड़ी सफलता है सियेरा लेओने के लोगों को महिलाओं के खिलाफ हिंसा की भयावहता पर जागरूक करना।  उन्होंने कहा, "एक बड़ी जीत है कि योजना शक्तिशाली शोषकों को चेतावनी दे रही है और इस प्रकार महिलाओं एवं लड़कियों को आगे शोषित होने से बचाया जा सकता है।"

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