महिला सशक्तिकरण पर वाटिकन का समर्थन।

यूरोप में सुरक्षा एवं सहयोग हेतु संगठन के लिए वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक ने वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता और सतत् विकास को बढ़ावा देने में महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

यूरोप में सुरक्षा एवं सहयोग हेतु संगठन के लिए वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक (ओएससीई) मोनसिन्योर जानुज उर्बैनसेक ने जीवन और कार्य के हर क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तीकरण का आह्वान किया है, साथ ही ओएससीई के आर्थिक और पर्यावरण मंच को अपने 2021 चक्र में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
सोमवार को 29वें ओएससीई  आर्थिक और पर्यावरण फोरम (ईईएफ) की पहली ऑनलाईन प्रारंभिक सभा को सम्बोधित करते हुए मोनसिन्योर उरबैनसेक ने जोर दिया कि हर मानव व्यक्ति की वास्तविक क्षमता की रक्षा एवं उसको बढ़ावा देने की चाह तथा महिलाओं और पुरुषों की पूरकता की स्वीकार्यता परमधर्मपीठ की महत्वपूर्ण प्राथमिकताएँ हैं।
मोनसिन्योर उरबैनसेक ने विभिन्न प्रकार के भेदभावों पर खेद प्रकट किया है जो काम के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका एवं प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाते हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि कई महिलाओं ने महसूस किया है कि "उनके प्रति पूर्वाग्रहों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है" और उन्हें "समाज के हाशिये पर रखा जाता एवं गुलाम के समान सीमित कर दिया जाता है।"

1995 में महिलाओं को लिखे पत्र से संत पापा जॉन पौल द्वितीय के शब्दों का हवाला देते हुए उन्होंने हर क्षेत्र में - एक समान काम के लिए समान वेतन, काम करनेवाली माताओं की सुरक्षा, कैरियर की प्रगति में निष्पक्षता, परिवार के अधिकारों में पति / पत्नी की समानता, एक लोकतांत्रिक राज्य में नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों की मान्यता आदि पर उनकी वास्तविक क्षमता को प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण तथा सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने से "निश्चित रूप से बड़े पैमाने पर समाज के भीतर एवं कई मामलों में, समाज की मौलिक ईकाई के भीतर, जो परिवार की इकाई है, में शांति और सुरक्षा बढ़ाने में योगदान देगा।"
मोनसिन्योर उरबैनसेक ने श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी पर चल रहे कोविद -19 महामारी के हानिकारक प्रभावों को रेखांकित किया।
उन्होंने गौर किया कि महिलाएँ पहले हैं जिन्हें अपनी नौकरी खोनी पड़ती है, खासकर, कम वेतन एवं अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को जहाँ उनकी संख्या सबसे अधिक होती है और जहाँ बहुधा वित्तीय सुरक्षा एवं लाभ की कमी होती है।
इन परिस्थितियों से घिरी महिलाओं पर ध्यान देते हुए मोनसिन्योर ने पुरूषों एवं महिलाओं के बीच संपूरकता का आह्वान किया है। कहा है कि जीवन और काम के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण, न केवल महिलाओं को मजबूत करेगा बल्कि सुरक्षा, स्थायित्व एवं सतत् विकास को भी सुदृढ़ करेगा।

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