सभी संतो का दिन | धर्मोपदेश | फादर संजय कुजूर

संत पापा बेनेदिक्ट सोलहवें आज के सुसमाचार के सन्दर्भ में एक अद्भुत मनोभाव प्रस्तुत करते हैं | वे हम सब विश्वासियों के लिए दो प्रश्न रखते हैं – धार्मिकता एवं शुध्दता का रहस्य क्या है ? स्वर्ग राज्य का रास्ता क्या है ? जैसे हम जानते हैं कि येसु मसीह हमारे लिए अपना आशीर्वचन छोड़ गये हैं, जिसमें कहा गया है कि धन्य हैं वे जो देते हैं, वे जो अपना जीवन अपने लिए नही लेकिन दूसरों के लिए देते हैं, धन्य हैं वे जो नेक हैं, नम्र हैं, दयालु हैं, धन्य हैं वे जो ईश्वर एवं पड़ोसियों के प्यार के लिए जीते हैं | आज का आशीर्वचन हमे सिर्फ धन-दौलत की निर्धनता के बारे में जिक्र नही करता परन्तु अपने आप को इस संसार के मोह-माया, लड़ाई-झगडा एवं पाप और अनैतिकता से दूर रहने का आहान करता है | इसलिए संत अगुस्टीन कहते है “मेरा ह्रदय बेचैन रहता है जब तक मैं ईश्वर में आराम नही करता हूँ” इसका तात्पर्य ह्रदय को ईश्वर में केन्द्रित होना चाहिए, और उसी का अर्थ है भावनात्मक निर्धनता, अर्थात् हमारा मन दिल एवं ह्रदय सिर्फ ईश्वर के केन्द्रित होना चाहिए | अंत में येसु कहते हैं धन्य हैं जो नम्र हैं, जो सरल जिन्दगी जीते हैं, जिसका नजरिया हमेशा दूसरों की सेवा, दूसरों की अच्छाई और भलाई सोचते हैं | क्या हम अपने दैनिक जीवन में ऐसा सोचते हैं, करते हैं ?

Add new comment

3 + 8 =