मन्दिर का कर

सन्त मत्ती के अनुसार पवित्र  सुसमाचार  
17:22-27

जब वे गलीलियों में साथ-साथ धूमते थे; तो ईसा ने अपने शिष्यों से कहा, "मानव पुत्र मनुष्यों के हवाले कर दिया जावेगा।
वे उसे मार डालेंगे और वह तीसरे दिन जी उठेगा। यह सुनकर शिष्यों को बहुत दुःख हुआ। जब वे कफ़रनाहूम आये थे, तो मंदिर का कर उगाहने वालों ने पेत्रुस के पास आ कर पूछा, "क्या तुम्हारे गुरू मंदिर का कर नहीं देते?" उसने उत्तर दिया, "देते हैं"। जब पेत्रुस घर पहुँचा, तो उसके कुछ कहने से पहले ही ईसा ने पूछा, "सिमोन! तुम्हारा क्या विचार है? दुनिया के राजा किन लोगों से चंुगी या कर लेते हैं- अपने ही पुत्रों से या परायों से?" पेत्रुस ने उत्तर दिया, "परायों से"। इस पर ईसा ने उस से कहा, "तब तो पुत्र कर से मुक्त हैं। फिर भी हम उन लोगों को बुरा उदाहरण नदें; इसलिए तुम समुद्र के किनारे जा कर बंसी डालो। जो मछली पहले फॅसेगी, उसे पकड़ लेना और उसका मुँह खोल देना। उस में तुम्हें एक सिक्का मिलेगा। उस ले लेना और मेरे तथा अपने लिए उन को दे देना।"

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