मत्ती का बुलावा

संत मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 
9: 9-13

ईसा वहाँ से आगे बढ़े। उन्होंने मत्ती नामक व्यक्ति को चुंगी-घर में बैठा हुआ देखा और उस से कहा, "मेरे पीछे चले आओ", और वह उठकर उनके पीछे हो लिया। एक दिन ईसा अपने शिष्यों के साथ मत्ती के घर भोजन पर बैठे और बहुत-से नाकेदार और पापी आ कर उनके साथ भोजन करने लगे। यह देखकर फरीसियों ने उनके शिष्यों से कहा, "तुम्हारे गुरु नाकेदारों और पापियों के साथ क्यों भोजन करते हैं?" ईसा ने यह सुन कर उन से कहा, "नीरोगों को नहीं, रोगियों को वैद्य की ज़रूरत होती है। जा कर सीख लो कि इसका क्या अर्थ है- मैं बलिदान नहीं, बल्कि दया चाहता हूँ। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।"

Add new comment

1 + 2 =