ख्रीस्त राजा का पर्व | धर्मोपदेश | फादर संजय कुजूर

हम सब के सब, कोई न कोई अपराध करते है | आज के पाठ में एक अपराधी सामाजिक भावना में बहकर येसु का अपमान और उपहास करता हैं | इस वास्तविकता से अभिग्य कि येसु एक राजा थे, जो निर्दोष थे पर दोषी ठहराये गये और उसे समाज ने क्रूस काठ का मरण दिया | हम जानते हैं कि क्रूस पर मरना एक बड़ा कष्ट, दुःख, शर्मजनक बात है, फिर भी वह अपराधी उनका अपमान कर रहा है कि वह अपने को राजा समझता है पर अपने को खुद बचा नही पा रहा है | क्या हम भी हमारे रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में ऐसा करते है, यदि उस अपराधी जैसा हमारा भी नजरिया एवं सोच-विचार है तो जरा गौर कर देखे और उसे बदलने की कोशिश करें |

जिस प्रकार एक पश्चातापी डाकू ने अपने बुरे कार्यों के लिए पश्चाताप किया | अपने मन-दिल को विनम्र बनाया ओर इश्वर से दया एवं कृपा की दुआ की कि मैं एक पापी हूँ मुझे क्षमा करना और परलोक मैं मुझे भी याद रखना | अतः हमें भी इस पश्चातापी डाकू से बहुत कुछ सीखना चाहिए, नम्र और विनीत बनने के लिए येसु से प्रार्थना करनी चाहिए |

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