आगमन का पहला रविवार (प्रवचन)

आगमन का पहला रविवार

वर्ष- 'अ' 01 दिसम्बर 2K19

पहला पाठ: इसायाह 2:1-5, दूसरा पाठ: रोमियों 13:11-14, सुसमाचार: सन्त मत्ती 24:37-44

"किसी के इंतजार में, किसी की प्रतीक्षा में आंखें लगाए बैठे रहना प्रेम की निशानी है।"

आज आगमन का पहला रविवार और पूजन-वर्ष का पहला दिन है। आज से हम सभी आगमन काल में प्रवेश कर रहे है। 'आगमन' क्रिसमस के पूर्व लगभग चार सप्ताह तक मसीह के आने की तैयारी में भक्तिपूर्वक और प्रार्थनामय रूप से मनाया जाने वाला पर्व है। आगमन काल हमारे लिए आध्यात्मिक तैयारी एवं प्रतीक्षा का समय है। येसु के जन्म के लिए स्वयं को तैयार करने का यह सबसे उचित समय है।

आगमन काल हमें पूर्णरूप से अपनी जिंदगी प्रभु को अर्पित करने के लिए आमंत्रित करता है। आज कलीसिया आगमन की माला 'रीथ' (पुष्पांजलि) पर मोमबत्तियां सजाती है, जिसके अंदर चार मोमबत्तियां लगाई जाती हैं, जो कि ज्योति का प्रतीक हैं। वह ज्योति है स्वयं येसु मसीह ।

आगमन के पहले रविवार को, पहली बैंगनी मोमबत्ती जलाई जाती है। इस मोमबत्ती को आम तौर पर भविष्यवक्ताओं की याद में "भविष्यवाणी  या आशा की मोमबत्ती" भी कहा जाता है। मुख्य रूप से नबी इसायाह जो मसीह के जन्म की भविष्यवाणी करते हुए कहते हैं: "देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ हैः ईश्वर हमारे साथ है।" यह पहली मोमबत्ती आने वाले मसीहा की प्रत्याशा में आशा या उम्मीद का प्रतिनिधित्व करती है। साथ ही यह मोमबत्ती लोगों की "आशा का प्रतीक" है।

आज के तीनों पाठ हमें ज्योति एवं अन्तिम दिनों के विषय में बतलाते है। आज का पहला पाठ नबी इसायाह के ग्रन्थ से लिया गया है। जिसमे नबी इसायाह अन्तिम दिनों के बारे में बतलाते हैं। और वे सभी को प्रभु की ज्योति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते है। आज का दूसरा पाठ रोमियों के नाम सन्त पौलुस के पत्र से लिया गया है, जिसमें सन्त पौलुस कहते है की- रात बीत चुकी है, दिन निकलने को है, इसलिए हम, अंधकार के कर्मों को त्याग कर, ज्योति के शास्त्र धारण कर लें। सन्त पौलुस हमें संसार की ज्योति को धारण करने का आह्वान करते है- और वह ज्योति है- येसु मसीह ! आज का पवित्र सुसमाचार जो की सन्त मत्ती के सुसमाचार से लिया गया है, हमें मानव पुत्र के आगमन के विषय में बतलाता है।

तो आइये हम सब मिलकर, जब हम आगमन काल में प्रवेश कर चुके है तो हम  आध्यात्मिक रूप से तैयार करें कि जिस मुक्तिदाता की हम प्रतीक्षा कर रहे वह हमारे हृदय में अपना स्थाई निवास बना ले। वह मुक्तिदाता जो आने वाला है, हमें मुक्ति प्रदान करें, साथ ही हम उस उद्धारकर्ता से प्रार्थना करें कि वह हमें अपनी ज्योति से भर दे, जिससे की हम पाप के अन्धकार में ना भटकते रहे। आमेन!

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