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विदेशी सहायता मामले, भारतीय सर्वोच्च न्यायालय करेगा विचार।
भारत का सुपीम कोर्ट ग़ैरसरकारी संस्थाओं को मिलनेवाली विदेशी सहायता विरोधी कानून के मामलों पर विचार करेगा जो कलीसिया की कल्याणकारी गतिविधियों को भी बाधित कर रहा है।
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने "फॉरन कॉनट्रीबयूशन रेग्यूलेशन एक्ट 2020" (एफसीआरए 2020) के विरुद्ध दायर मुकद्दमों पर विचार करना स्वीकार कर लिया है। यह अधिनियम राष्ट्र में सेवारत ग़ैरसरकारी कल्याणकारी संस्थाओं को विदेशों से मिलनेवाले आर्थिक वित्त पोषण को विनियमित करता है।
विगत वर्ष 21 सितम्बर को संसद द्वारा किये गये संशोधन के अनुसार, ग़ैरसरकारी संस्थाओं के साथ किसी भी प्रकार की आर्थिक लेन-देन को इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण के अधीन कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, अब ग़ैरसरकारी संस्थाओं को विदेशों से अंशदान पाने के लिये अपने व्यक्तिगत एवं बैंक डाटा सहित एक इलोक्ट्रॉनिक कार्ड रखना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त, इन संस्थाओं के लिये यह अनिवार्य हो गया है कि वे नई दिल्ली के किसी सार्वजनिक बैंक में एक अलग खाता खोलें।
ग़ैरसरकारी एवं कलीसियाई लोकोपकारी संस्थाओं ने उक्त संशोधन का विरोध करते हुए कहा है कि दफ्तरबाज़ी के कारण संशोधन के बाद रखी गई शर्तों को पूरा करना एक बहुत ही मुश्किल काम है, जिससे उनकी कल्याणकारी गतिविधियाँ बाधित हो रही हैं।
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