म्यानमार में शान्ति हेतु प्रार्थना की अपील। 

जापान में टोकियो के काथलिक महाधर्माध्यक्ष तारचिसियुस ईसाओ किकूची ने जापान के समस्त काथलिक विश्वासियों से म्यानमार में शान्ति हेतु प्रार्थना करने की अपील की है। आठ अगस्त को टोकियो के महागिरजाघर में म्यानमार के मिशनरी पुरोहित फादर राज़ूम नॉरसन विन्सेन्ट के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित करते समय महाधर्माध्यक्ष किकूची ने उक्त अपील जारी की।  प्रतिवर्ष, 06 अगस्त से 15 अगस्त तक, जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी में सन् 1945 के बम आक्रमणों की स्मृति में, शांति हेतु दस दिवसीय प्रार्थना का आयोजन किया जाता है। इसी के दौरान म्यानमार के लिये प्रार्थना की अपील की गई।
ख्रीस्तयाग प्रवचन में महाधर्माध्यक्ष किकूची ने म्यानमार में पुनर्मिलन का आह्वान किया, जो इस समय फरवरी माह के तख्तापलट के साथ-साथ कोविद-19 महामारी की मार के फलस्वरूप संकट के दौर से गुज़र रहा है। सेना के तख्तापलट ने प्रजातांत्रिक रूप से निर्वाचित श्रीमती आऊन सान सूची की सरकार को अपदस्थ कर दिया है। तख्तापलट के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों तथा सेना के दमनचक्र में सैकड़ों लोगों के प्राण चले गये हैं तथा सैकड़ों अन्य घायल हो गये हैं। 
महाधर्माध्यक्ष किकूची ने कहा, "म्यानमार की कलीसिया जापान की कलीसिया की भगिनी है और यही कारण है कि हमारी दस दिवसीय प्रार्थनाओं में हमने म्यानमार को भी शामिल किया है। हम सब मिलकर म्यानमार की कलीसिया तथा सम्पूर्ण म्यानमार देश के लोगों के लिये प्रार्थना करें ताकि वे न्याय एवं शांति के वातावरण में जीवन यापन कर सकें।"
जापान के काथलिकों से महाधर्माध्यक्ष किकूची ने म्यानमार के लिये चंदा एकत्र करने की भी अपील की ताकि याँगून की काथलिक कलीसिया के कल्याणकारी कार्यों को समर्थन दिया जा सके। महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि शांति के लिये प्रार्थना के साथ-साथ भौतिक एवं आर्थिक मदद की भी नितान्त आवश्यकता है ताकि शांति की अभिलाषा केवल एक मंशा मात्र न रह जाये।
महाधर्माध्यक्ष किकूची ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि तख्तापलट और उसके बाद हुई हिंसा में कई आराधना स्थल, स्कूल एवं अस्पताल नष्ट हो गये हैं जिनका पुनर्निर्माण कराया जाना अनिवार्य है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि शांति सम्भव है, जिसके लिये हम सभी को प्रयास करना चाहिये क्योंकि शांति ही एकमात्र मार्ग है। 

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