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म्यानमार के धर्माध्यक्षों द्वारा मिलिट्री से हिंसा को ख़त्म करने की मांग।
जब म्यानमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन बढ़ रहे हैं, देश के काथलिक धर्माध्यक्षों ने एक बयान जी कर सेना से अपील की है कि वे हिंसा से परहेज करें तथा वार्ता के द्वारा शांतिपूर्वक उसका समाधान करें।
तीन हफ़्ते पहले देश के सैन्य तख्तापलट के खिलाफ अब तक के सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक में हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को म्यांमार की सड़कों पर प्रदर्शन किया
विरोध प्रदर्शन में, लोग सैन्य शासन को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं और राष्ट्र के निर्वाचित नेता सान सू की को उनकी नेशनल लीग ऑफ़ डेमोक्रेसी पार्टी (एनएलडी) के वरिष्ठ सदस्यों के साथ रिहा कराना चाहते हैं।
प्रदर्शनकारी, सेना द्वारा 1 फरवरी के तख्तापलट के खिलाफ, एक सार्वजनिक हड़ताल में शामिल होनेवाले लोगों के विरूद्ध घातक ताकत के इस्तेमाल के सत्तारूढ़ के खतरे के बावजूद, म्यानमार के बड़े शहर यंगोन में जमा हुए थे। देश की राजधानी नेयपिताव में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी के बौछार का प्रयोग किया गया।
इस बीच म्यानमार के काथलिक धर्माध्यक्षों ने फौज से अपील की है कि सड़कों पर संयम बरते एवं संकट का समाधान करने के लिए वार्ता का सहारा ले। रविवार को एक बयान में म्यानमार के काथलिक धर्माध्यक्षों ने सड़कों पर हो रही हिंसा की निंदा की, यह कहते हुए कि "इन दिनों की दुखद एवं दिल दहलाने वाली घटना ने हमारे देश में बहुत अधिक पीड़ा लाई है।"
अपील पर म्यानमार के काथलिक धर्माध्यक्षों के अध्यक्ष, यंगोन के धर्माध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो, यंगोन के सहायक धर्माध्यक्ष जॉन सो याऊ हान तथा देशभर के धर्माध्यक्षों ने हस्ताक्षर किया है और अपना विरोध जताया है जब रविवार 9 फरवरी को नेयपिताव में एक 20 वर्षीय महिला की सिर में गोली मार दी गई थी।
धर्माध्यक्षों ने खेद प्रकट करते हुए लिखा, "सड़कों पर युवाओं की मौत का दिल दहला देनेवाला दृश्य, देश के अंतःकरण को घायल कर रहा है। इसकी पवित्र भूमि भाईचारा के खून से लथपथ न हो। अपने बच्चों को दफनाने वाले माता-पिताओं के दुःख का अंत हो। मातओं के आँसू किसी देश के लिए आशीर्वाद नहीं होते।"
उन्होंने गौर किया कि करीब एक माह पहले देश शांति एवं प्रजातंत्र को मजबूत करने का स्वप्न देख रहा था। वैश्विक महामारी के बावजूद देश ने चुनाव रचा। विश्व ने हमारी विविधता की शक्ति पर आश्चर्य किया। हालांकि, आज विश्व हमारे साथ रो रहा है जिसका राष्ट्र विखंडित होकर एक बार फिर बिखर गया है।" धर्माध्यक्षों ने आग्रह किया है कि देश के युवा बेहतर वर्ताव के हकदार हैं।
कलीसिया के धर्मगुरूओं ने जोर दिया, "चंगाई की शुरूआत कैद किये गये नेताओं की रिहाई से शुरू होगी।" उन्होंने सभी को वार्ता की ओर लौटने तथा अपनी ऊर्जा को मेल- मिलाप में लगाने के लिए जोर दिया।
कार्डिनल बो की चालीसा काल की अपील:- कार्डिनल बो ने चालीसा काल में अपने धर्मप्रांत के विश्वासियों से भी अपील की है कि वे देश में मेल-मिलाप के लिए प्रार्थना तथा उपवास करें। उन्होंने चालीसा काल के प्रथम रविवार के उपदेश में कहा, "यह प्रार्थना का समय है। यह उपवास करने का समय है। यह समय इस देश के हम सभी लोगों के लिए मन-परिवर्तन का है।"
उन्होंने प्रार्थना की, "शांति का कपोत हमारे देश में लौटे। यह देश सभी के लिए शांति एवं समृद्धि के नये म्यानमार के रूप में उठे। शांति एवं मेलमिलाप का इंद्रधनुष फिर देखाई दे।" कार्डिनल बो एशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने सत्ता, धन के दुरूपयोग तथा अहंकार एवं उत्पीड़न के विरूद्ध चेतावनी दी है, "शक्तिशाली ताकतें गिर जाएंगी और उनकी कब्रें इतिहास बन सकती है।"
काथलिकों द्वारा प्रदर्शन जारी:- म्यानमार में हर दिन शहरों से लेकर गाँव तक प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमें प्रजातंत्र को अपना समर्थन ख्रीस्तियों तथा जनजातीय समुदायों ने दिया है। काथलिक स्त्री और पुरूष, धर्मसमाजी, पुरोहित, गुरूकुल छात्र एवं लोकधर्मी सभी इसका समर्थन कर रहे हैं तथा वे शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
रविवार को करीब 1000 काथलिकों ने जिसमें अधिकांश युवा थे सड़कों पर प्रदर्शन में भाग लिया। उससे पहले दिन मांडले में सैंकड़ों लोगों ने सड़कों पर प्रार्थना एवं रोजरी की। पिछला सप्ताह धर्मबहनों, पुरोहितों और लोकधर्मियों ने कयाह की सड़कों पर शांति के लिए प्रार्थना की। कचिन एवं चिन राज्यों के कई शहरों में काथलिकों के साथ अन्य कलीसियाओं के ख्रीस्तीय भी प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं। धर्मबहनों ने यंगोन में प्रदर्शन करने वालों को भोजन एवं पेयजल प्रदान किया है और साथ ही अपने कॉन्वेंटों में प्रार्थना सभा का आयोजन किया है। शुक्रवार को दर्जनों काथलिक युवाओं ने यंगोन में अमरीकी राजदूतावास के सामने प्रदर्शन किया जब तख्तापलट का विरोध करने वाले हजारों प्रदर्शनकारी चीन, जापान और सिंगापूर के राजदूतावासों के सामने जमा हुए। रविवार को, म्यानमार के दूसरे बड़े शहर में प्रदर्शनकारियों को हिंसक रूप से रोकने के क्रम में सुरक्षाक्रमियों ने दो लोगों को मार डाला एवं 20 वर्षीय मांडला घायल हो गई। इस घटना की संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, ग्रेटब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने कड़ी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र के महसचिव अंतोनियो गुट्टेरेस ने सोमवार को म्यानमार की फौज से अपील की कि वह दमन को तुरंत रोके, जेल में बंद सैंकड़ों लोगों को रिहा करे और मानव अधिकार एवं चुनाव में व्यक्त लोगों की इच्छा का सम्मान करे।
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