म्यांमार से भागे शरणार्थियों ने भारत में शरण ली। 

ख्रीस्तीय बहुल मिजोरम राज्य अपने संघर्षग्रस्त पड़ोसी देश से लगभग 16,000 शरणार्थियों को शरण दे रहा है
म्यांमार के हजारों लोग, जिनमें से अधिकांश ख्रीस्तीय हैं, भारत के सीमावर्ती मिजोरम राज्य की ओर भाग रहे हैं क्योंकि बौद्ध बहुल राष्ट्र में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर सेना की कार्रवाई जारी है।
मिजोरम राज्य ने नई दिल्ली में संघीय सरकार को आधिकारिक रूप से सूचित किया है कि लगभग 16,000 म्यांमार शरणार्थी अब राज्य में रह रहे हैं, जो पड़ोसी म्यांमार के चिन राज्य से हैं। भारत आये अधिकांश शरणार्थी मिजोरम में मिजो लोगों के साथ एक जातीय संबंध साझा करते हैं और ख्रीस्तीय बहुल राज्य के लोगों के साथ पारिवारिक संबंध रखते हैं।
मिजोरम सरकार के वरिष्ठ अधिकारी एच. राममावी ने भारत के विदेश मंत्रालय को लिखे एक पत्र में कहा कि म्यांमार के 15,438 लोगों ने मिजोरम में शरण ली है। उन्होंने कहा, "मिजोरम में म्यांमार के शरणार्थियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।"
पत्र के अनुसार, अकेले राज्य की राजधानी आइज़वाल में म्यांमार से भागे 6,000 से अधिक लोग हैं। आइज़वाल में करीब 300,000 लोगों के साथ, शहर की आबादी में 2 प्रतिशत की वृद्धि होगी। आइजोल में एक सामाजिक कार्यकर्ता मोज़ेज़ सैलो ने कहा कि आधिकारिक आंकड़े अभी भी बदल सकते हैं क्योंकि म्यांमार के कई नागरिक अपनी म्यांमार पृष्ठभूमि का खुलासा किए बिना मिजोरम में अपने रिश्तेदारों के घरों में रह रहे थे।
सैलो ने कहा कि शरणार्थी गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के समर्थन से शिविरों और व्यक्तिगत घरों में रह रहे हैं।
 ज्यादातर बैपटिस्ट और प्रेस्बिटेरियन ख्रीस्तीय, मिजोरम के 1.15 मिलियन लोगों में से लगभग 87 प्रतिशत हैं। काथलिकों की संख्या केवल 40,000 है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा का मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सहयोगी है।
ज़ोरमथांगा ने कथित तौर पर कहा कि म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए उत्पीड़न का सामना करने वाले किसी भी मिज़ो जाति के लोग या म्यांमार के अन्य नागरिकों का राज्य स्वागत करेगा। मुख्य रूप से चिन राज्य में मिज़ो जातीय समूह से संबंधित म्यांमार शरणार्थियों का पलायन फरवरी में प्रदर्शनकारियों पर क्रूर सैन्य कार्रवाई के बाद शुरू हुआ।
1 फरवरी के तख्तापलट में चुनी हुई सरकार को उखाड़ कर सत्ता संभालने वाली सेना सविनय अवज्ञा आंदोलन को कुचलने के लिए अपनी सशस्त्र कार्रवाई जारी रखे हुए है। सूत्रों ने कहा कि म्यांमार से भागने वालों में सरकारी कर्मचारी, पुलिसकर्मी और दमकलकर्मी शामिल हैं, क्योंकि सरकार ने उन्हें तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
मिजोरम राज्य के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जो लोग मिजोरम से भाग गए, उनमें म्यांमार के नवंबर 2020 के आम चुनाव में चुने गए कम से कम 20 विधायक शामिल हैं।
भारत म्यांमार के साथ 1,643 किलोमीटर तक फैली एक बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है, जिसमें चार भारतीय राज्य मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। अकेले मिजोरम म्यांमार के साथ 404 किलोमीटर की सीमा साझा करता है।
राजनयिक और रणनीतिक मुद्दों के कारण, भारत सरकार ने म्यांमार से आने वाले लोगों को शरणार्थी के रूप में मान्यता नहीं दी है।
भारत के गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में संघीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में चार पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्य सचिवों को म्यांमार के शरणार्थियों का "स्वागत नहीं करने" का निर्देश दिया था।
संघीय सरकार ने एक उग्रवाद विरोधी कार्रवाई बल के पैरा कमांडो को सीमा सील करने और म्यांमार से प्रवेश को रोकने का भी निर्देश दिया है।
भारत के पास राष्ट्रीय शरणार्थी सुरक्षा ढांचा नहीं है। गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को लिखे पत्र में कहा है कि उनके पास किसी भी विदेशी को शरणार्थी का दर्जा देने का कोई अधिकार नहीं है और भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन और इसके 1967 के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।

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