धर्माध्यक्षों ने शरणार्थियों के साथ बेहतर बर्ताव की अपील की। 

एंग्लिकन और काथलिक धर्माध्यक्षों ने फ्रांस में प्रवेश करने और ब्रिटेन पहुंचने की कोशिश कर रहे, बिना दस्तावेज के सभी कमजोर अप्रवासियों के साथ "बेहतर बर्ताव" की अपील दोहरायी।
विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर 20 जून को प्रकाशित एक संयुक्त बयान में 6 धर्माध्यक्षों ने याद किया है कि ये अजनबी "जो अपनी मातृभूमि से निर्वासित हैं" हमारे साथी इंसान हैं जिन्हें जगह पाने का हक है जहाँ वे प्रतिष्ठा के साथ जी सकें तथा समाज के लिए अपना सहयोग दे सकें। उन्होंने उम्मीद की कमी पर खेद प्रकट किया जो लोगों को मानव तस्करी एवं अवैध व्यापार द्वारा शोषण के शिकार बनाता।
कलीसिया के धर्मगुरूओं ने यह कहते हुए कुछ साकारात्मक चिन्ह की ओर ध्यान आकृष्ट किया है कि वे उन लोगों की सराहना करते हैं जिन्होंने उदारतापूर्वक आर्थिक और भौतिक सहायता, समय और कौशल, आश्रय एवं आवास प्रदान किया है, चाहे उनका धार्मिक विश्वास कुछ भी हो।" उन्होंने कहा, कि ये लोग उन काल्पनिक बातों की अनदेखी करते जो पूर्वाग्रह एवं भय की ओर ले जाती हैं और स्पष्ट रूप से राजनेताओं को नई और रचनात्मक नीतियां बनाने से रोकती हैं जो सीमाओं को बंद करने और अधिक सुरक्षा कर्मचारियों की नियुक्त करने से परे जाती हैं।
धर्माध्यक्षों ने अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि दी है कि वे स्थानीय लोगों के बीच अजनबी लोगों की स्वीकृति एवं उनके प्रति समझदारी का माहौल उत्पन्न करेंगे जो उनके साथ सभी मनुष्यों की आशा एवं आवश्यकताओं को साझा कर सकेंगे। 
अपील, 19 जून के बचाव के बाद आयी है जब इंगलैंड पहुँचने की कोशिश में चैनल पार कर रहे, 80 आप्रवासियों को फ्रांसीसी अधिकारियों ने बचा लिया था। 2020 में करीब 10 हजार आप्रवासी इस तरह प्रवेश करने की कोशिश कर चुके हैं। कालाईस के तटीय शहर की कलीसिया, जहाँ कई आप्रवासी पहुँचते हैं वे अस्थायी तम्बू बना कर रह रहे हैं। उन्होंने इस मानवीय संकट के समाधान के लिए अपनी दुर्दशा की बार-बार निंदा की है।

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