झारखंडी कलीसिया के प्रति विद्वेषपूर्ण आरोप। 

भारत में झारखण्ड राज्य की एक कलीसिया पर धर्मपरिवर्तन का आरोप लगाया गया है। झारखण्ड राज्य, खूंटी जिला के अंतर्गत एक अल्पसंख्यक ग्रमीण काथलिक संत जोसेफ स्कूल पर धर्मपरिवर्तन का आरोप लगाया गया है। राँची महाधर्मप्रांत के सहायक धर्माध्यक्ष मन्यवर थेयोदोर मैस्करेनहास ने खूंटी धर्मप्रान्त के ख्रीस्तीय संस्थान पर लगे इस आरोप को निराधार बतलाते हुए कहा, “यह एक झूठी खबर है जिसका उद्देश्य कलीसिया की प्रतिष्टा को ठेस पहुंचाते हुए, समाज में कलीसिया के प्रति घृणा और विभाजन उत्पन्न करना है।”
विदित हो कि खूंटी धर्मप्रांत के अंतर्गत संत योसेफ स्कूल सुदूर गाँव लापुंग प्रखण्ड में स्थित है। स्कूल का निर्माण स्थानीय आदिवासी काथलिक परिवारों द्वारा कलीसिया को दान की गई जमीन में किया गया है जिससे उस क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा-दीक्षा मिल सके। स्थनीय अखबारों और संचार माध्यमों ने इसे अवैध घोषित करते हुए उसे धर्मपरिवर्तन स्थल बतलाया है।
राँची धर्मप्रांत के सहायक धर्माध्यक्ष थेयोदोर मैस्करेनहास और खूंटी धर्मप्रापंत के धर्माध्यक्ष विनय कंडुलना ने एक प्रेस विज्ञाप्ति में यूकैन समाचार को बतलाया कि यह ख्रीस्तीय के प्रति एक द्वेषपूर्ण योजना है जिसके फलस्वरुप झूठे अरोपों के माध्यम कलीसिया की छवि को बिगाड़ने की कोशिश की गई है। “हम संचार माध्यमों से आग्रह करते हैं कि वे इस झूठी खबर के प्रकाशन पर खेद प्रकट करें, नहीं तो जरूरत पड़ने पर उनके विरूध कानूनी कदम उठाये जायेंगे।” उन्होंने कहा कि कलीसिया सदैव से समाज में प्रेम और शांति का प्रवर्तक रही है तथा वह फूट डालो और राज करो की राजनीति में विश्वास नहीं करती है।”
झारखंड में 33 मिलियन की कुल आबादी में 14 लाख ईसाई हैं, जिनमें ज्यादातर आदिवासी हैं। 2017 में, राज्य ने एक नया धर्मांतरण विरोधी कानून भी पारित किया है, जो बल पूर्वक धर्मांतरण पर तीन साल की जेल और 50 हजार रुपये (800 डॉलर के बराबर) के जुर्माने का प्रावधान करता है। इसी तरह के कानून अन्य भारतीय राज्यों में भी पेश किए गए हैं जिसकी आलोचना कलीसिया द्वारा निरंतर की गई है, क्योंकि यह धर्मांतरण के आरोप पर अल्पसंख्यकों को लक्षित करता है। 

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