जेल में बंद जेसुइट के अनुरोध पर विलंब कार्रवाई "अमानवीय"

83 साल के फादर स्टेन ने पर्किंसन रोग का हवाला देते हुए स्ट्रॉ और सिपर कप मांगा है। स्टेन पर्किंसन रोग से ग्रसित हैं। एनआईए ने इस पर जवाब देने के लिए 20 दिन का वक्त मांगा।अनेक लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर 83 वर्षीय जेसुइट के सहज अनुरोध के लिए एनआईए की प्रतिक्रिया की निंदा की।

फादर स्टेन स्वामी ने 7 नवंबर को पर्किंसन रोग  का हवाला देते हुए एनआईए की विशेष अदालत से जेल में चाय आदि पीने के लिए अपने हाथों में कंपकंपी के कारण बंद कप और पाइप की मांग की है। हालांकि एनआईए ने इस पर जवाब देने के लिए 20 दिन का वक्त मांगा है।

7 नवंबर को विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा 83 साल की जेसिट के अनुरोध पर विलंब कार्यवाई की निंदा की, जो कि पार्किंसन की बीमारी से ग्रस्त हैं और मुंबई जेल में बंद है।

फादर की गिरफ्तारी :- 83 वर्षीय जेसुइट 9 अक्टूबर से जेल में बंद हैं, 8 अक्टूबर को एनआईए ने उन्हें पूर्वी भारतीय राज्य झारखंड की राजधानी रांची के पास उनके आवास से माओवादियों के साथ कथित संबंधों के लिए गिरफ्तार किया।

एनआईए ने फादर स्टेन के अनुरोध का जवाब देने के लिए 20 दिनों का समय मांगा है। जेल परिसर के बाहर से भेजी जाने वाली सामग्रियों के लिए अनुमति देने वाले अदालत  ने मामले को 26 नवंबर को सुनवाई का समय दिया है।

एनआईए की प्रतिक्रिया की निंदा :- सामाजिक कार्यकर्ता जेसुइट फादर सेड्रिक प्रकाश ने कहा, "एनआईए की ओर से फादर स्टेन स्वामी के अनुरोध पर यह प्रतिक्रिया न केवल असंवेदनशील है, बल्कि बिल्कुल अमानवीय है।"

फादर प्रकाश ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है, "कल्पना कीजिए कि एक कैदी को वैध शारीरिक बीमारियों के कारण हानिरहित लेकिन आवश्यक सिपर और स्ट्रो का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।" अन्य लोगों ने भी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर 83 वर्षीय जेसुइट के सहज अनुरोध के लिए एनआईए की प्रतिक्रिया की निंदा की।

जबकि फेसबुक उपयोगकर्ता ग्राटियन वास एनआईए की देरी को "क्रूरता और असंवेदनशीलता" के रूप में देखते हैं, सेड्रिक फर्नांडीस इसे "बहुत अपमानजनक" मानते हैं और फादर स्टेन की जल्द रिहाई के समर्थन में प्रार्थना की पेशकश करते हैं। एक अन्य फेसबुक उपयोगकर्ता यूजीन लोबो के अनुसार, एनआईए की प्रतिक्रिया "अपने सबसे अच्छे रूप में नाज़ीवाद" का एक उदाहरण है।

मुंबई के जून पिंटो बताते हैं कि भारतीय संस्कृति बड़ों के सम्मान में गर्व करती है। “जैसा कि एक बार किसी ने कहा था, हमारा जीवन उस दिन से समाप्त होना शुरू कर देता है जब हम उन चीजों के बारे में चुप हो जाते हैं जो मायने रखती हैं। यह एक ऐसा अवसर है जहाँ हम सभी को फादर स्टेन स्वामी के प्रति अमानवीय व्यवहार और अन्यायपूर्ण कारावास के विरोध में आवाज उठानी चाहिए।

फादर स्टेन स्वामी पर्किंसन रोग से ग्रसित हैं, इससे उनका नर्वस सिस्टम कमजोर होता जा रहा है और अचानक ही उनके हाथ-पैर में कंपन होता है, इस कारण उन्हें रोजमर्रा के कामकाज यहां तक कि कुछ खाने-पीने में भी दिक्कत होती है। यहां तक कि फादर स्टेन स्वामी को कुछ चबाने या निगलने में भी परेशानी महसूस हो रही है। करीब एक माह तक तलोजा सेंट्रल जेल में बंद स्टेन स्वामी ने कोर्ट को दिए अपने आवेदन में कहा कि वह पर्किंसन के कारण अपने हाथ में एक गिलास भी नहीं पकड़ सकते. फिलहाल वह जेल के अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।

जमानत खारिज :- पिछले माह फादर स्वामी ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत मांगी थी परंतु एनआईए अदालत ने स्वामी की जमानत याचिका खारिज कर दी। एनआईए का कहना था कि स्वामी को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम के सख्त कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है, लिहाजा उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।

भीमा कोरेगांव में बने युद्ध स्मारक पर एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़क उठी थी। पुणे के एक इलाके में एक दिन पहले हुई एल्गार परिषद में दिए गए भड़काऊ भाषणों को कथित तौर पर इसके लिए जिम्मेदार माना गया। एनआईए का आरोप है कि स्वामी के सीपीआई (माओवादी) से रिश्ते हैं और हिंसा को भड़काने में उनका भी हाथ था। स्वामी को पिछले माह गिरफ्तार करने की भारी आलोचना हुई थी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि केंद्र ने सारी मर्यादाएं लांघ ली हैं।

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