कोविड संकट का सामना करने के लिये सरकार सेना को करे तैनात। 

भारत में प्रतिदिन कोविड महामारी से हज़ारों व्यक्तियों की मौतों के प्रकाश में भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के पूर्व महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मैसकरेनस ने केन्द्रीय सरकार का आह्वान किया है कि संकट का सामना करने के लिये वह सेना को तैनात करे।
धर्माध्यक्ष मैसकेरेनस ने कहा, "कोविड -19 की दूसरी लहर, निश्चित रूप से, एक राष्ट्रीय आपदा है जिससे सम्पूर्ण देश संघर्ष कर रहा है, हजारों प्रतिदिन मर रहे हैं और सैकड़ों हज़ारों संक्रमित हो रहे हैं।"
धर्माध्यक्ष महोदय ने कहा, केन्द्रीय सरकार को इस ख़तरनाक स्थिति से निपटने के लिये सैन्य कर्मियों को तैनात करने पर विचार करना चाहिये ताकि नागर प्रशासन को प्रभावशाली सहायता मिल सके तथा दहशत में जी रहे नागरिकों को राहत मिले।
अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह के बाद से प्रतिदिन भारत में तीन लाख से अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं तथा प्रतिदिन दो से तीन हज़ार लोगों के मरने की ख़बर मिल रही है।    
कई राज्यों एवं शहरों में लॉकडाऊन एवं कर्फ्यु लगा दिया गया है तथा सामाजिक एवं धार्मिक समारोहों पर रोक लगा दी गई है ताकि महामारी को फैलने से रोका जा सके। इसके बावजूद मरनेवालों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। इसी बीच, अस्पतालों में पलंगों, ऑक्सीजन एवं दवाओं अभाव बना हुआ है।   
धर्माध्यक्ष ने कहा, "जब जब, देश को बाढ़, सूखा, भूकंप, चक्रवात या इस तरह के किसी भी संकट के रूप में राष्ट्रीय आपदाओं का सामना करना पड़ा, भारतीय सेना ने सामान्य स्थिति बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इसलिये कोविद संकट के समय सेना की मदद पर विचार करना तर्कयुक्त है।"
उन्होंने कहा, "यह उच्च समय है कि सरकार अपने विशाल संसाधनों और प्रशिक्षित जनशक्ति के साथ सेना और रक्षा बलों को भी इस आपदा से निपटने के लिये तैनात करे क्योंकि ने पहले से ही  अर्थव्यवस्था को अपंग कर दिया है तथा लाखों लोगों को मौत का कारण बनी है।"
केरल धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के पूर्व सचिव फादर वल्लीकट्ट ने भी इतनी भारी संख्या में संक्रमित एवं मौत के शिकार बन रहे लोगों पर गहन दुख व्यक्त किया और कहा कि अस्पतालों में पलंगों एवं ऑक्सीजन की कमी के कारण मर रहे लोगों को देखना वास्तव में भयावह है। इस समय सर्वाधिक महत्वपूर्ण है लोगों को मरने से बचाना।

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