कॉलेज पाठ्यक्रम में हिन्दू महाकाव्यों को जोड़ने की घोषणा। 

मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने 13 सितम्बर को कहा कि राज्य सरकार ने 2021-2022 के लिये कॉलेज के पाठ्यक्रम में लोकप्रिय हिन्दू महाकाव्यों को जोड़ने का निर्णय लिया है। मंत्री की इस घोषणा पर कई अंचलों ने आपत्ति जताकर कहा है कि किसी एक धर्म के महाकाव्यों को पाठ्यक्रम में जोड़ना राष्ट्र की धर्मनिर्पेक्ष प्रकृति के विरुद्ध होगा।
ग़ौरतलब है कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सत्तारूढ़ है, जो शिक्षा में सुधार की आड़ में हिन्दू एजेन्डा को प्रोत्साहित करने का प्रयास करती रही है।  

धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के अनुरूप नहीं
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के पूर्व प्रवक्ता फादर जोसफ बाबू ने कहा, "अकादमिक पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में हिंदू धर्म के महाकाव्यों को पेश करने में कोई बुराई नहीं है, जहां छात्रों को हमारी परंपराओं और संस्कृतियों के बारे में पता चलता है और उन्हें उनसे संपर्क करने में मदद मिलती है।" तथापि, उन्होंने राज्य सरकार को स्मरण दिलाया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष मिश्रित संस्कृति वाला देश है, जिसमें विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं के दर्शन शामिल हैं।
उन्होंने कहा, "किसी धर्म विशेष को दूसरे धर्मों पर बढ़ावा देना या प्रधानता देना हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।" उन्होंने कहा कि हिन्दू महाकाव्य तथा अन्य धर्मशास्त्रीय ग्रन्थ मानवता की सामन्य धरोहर का अंश हैं, जो किसी एक धर्म की विरासत नहीं हैं। उन्होंने कहा, "हमें सह-अस्तित्व और शांति से एक साथ बढ़ने की जरूरत है।"   

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