कार्डिनल तिमोथी डोलन: धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार मानव प्रतिष्ठा में निहित। 

कार्डिनल डोलन ने जोर दिया है कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार मानव व्यक्ति की गरिमा में निहित है।

अमरीकी काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के धार्मिक स्वतंत्रता विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल तिमोथी डोलन ने इस बात पर गौर करते हुए कि आज अमरीका राजनीतिक एवं सांस्कृतिक दलबंदी से प्रभावित है, जोर दिया है कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार मानव व्यक्ति के मूल में है। धार्मिक स्वतंत्रता दिवस जिसको 16 जनवरी को मनाया गया, इस अवसर पर उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि "वस्तुनिष्ठ सत्य की अपील को दमन के प्रयासों के रूप में माना जाता है" और "कथन और बदलाव" का उपयोग "पसंद के हथियार" के रूप में किया जाता है।"

फ्रतेल्ली तूत्ती:- कार्डिनल डोनल ने गौर किया कि संत पापा ने रूखे नजारिये का बहिष्कार किया है। उन्होंने प्रेरितिक विश्व पत्र फ्रतेल्ली तूत्ती का हवाला दिया, जिसमें संत पापा फ्रांसिस जोर देते हैं कि "यदि समाज को भविष्य चाहिए तो उसे हमारी मानव प्रतिष्ठा की सच्चाई का सम्मान करना चाहिए। एक बहुमुखी समाज में, यह महसूस करने के लिए संवाद उत्तम रास्ता है कि किसी भी अल्पकालिक सर्वसम्मति से अलग होने की हमेशा पुष्टि और सम्मान की जानी चाहिए।”

सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता हेतु अमरीका की धरोहर:- कार्डिनल डोलन के अनुसार, धार्मिक स्वतंत्रता, समुदायों को दृढ़ता एवं बृहद समाज को योगदान देने हेतु संवाद के लिए स्थान खोलता है। कार्डिनल ने जोर दिया कि "संवाद के उस स्थान को जब कसा जाता है बृहद समाज को कठिनाई सहना पड़ता है।" उन्होंने आशा व्यक्त की कि अमरीका के काथलिक एवं भली इच्छा रखनेवाले सभी लोग देश में सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता को पुष्ट करने हेतु अपने आपको प्रतिबद्ध करेंगे।  

धार्मिक स्वतंत्रता दिवस:- धार्मिक स्वतंत्रता दिवस की स्थापना अमरीका में 1993 को हुई थी जो 16 जनवरी 1786 को धार्मिक स्वतंत्रता के लिए वर्जीनिया क़ानून के पारित होने की स्मृति में की गई थी, जो धार्मिक मामलों में राज्य के प्रभाव को हटाने के लिए नए राष्ट्र में पहला ऐतिहासिक प्रयास था और अमेरिका के पहले संशोधन के धार्मिक खंड के पीछे प्रेरक बल था। संविधान, सरकारों को ऐसे कानून बनाने से रोकता है जो धर्म की स्थापना को विनियमित करते हैं या जो धर्म के मुक्त अभ्यास को प्रतिबंधित करते।

हाल के वर्षों में अमेरिका के धर्माध्यक्षों ने नियमित रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और देश में जीवन एवं कानून पर अन्य नैतिक मुद्दों, 2010 में पारित किए गए सहज देखभाल एक्ट, जिसे ओबामाकेर के नाम से भी जाना जाता है, को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है।

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