उत्तराखंड के ग्लेशियर आपदा पीड़ितों के प्रति धर्माध्यक्षों की संवेदना।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने उत्तराखंड के ग्लेशियर आपदा पर दुःख व्यक्त किया है और घटना में मारे गए या लापता हुए लोगों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।
फरवरी को दो और शवों की बरामदगी से, आपदा से मरनेवालों की संख्या बढ़कर 28 हो गई।
अधिकारियों ने बताया कि चमोली जिले में तपोवन बिजली परियोजना में काम करने वाले सुरंग के अंदर फंसे लगभग 30 श्रमिकों के बचाव के लिए एक मल्टी-एजेंसी ऑपरेशन जारी है।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 7 फरवरी को ग्लेशियर के फटने से आई आपदा के बाद लगभग 170 लोग अभी भी लापता हैं।
धर्माध्यक्षों ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि "हम अभी भी पुलों के नुकसान, जलविद्युत परियोजनाओं और जीवन की क्षति की रिपोर्ट प्राप्त कर रहे हैं।"
धर्माध्यक्षों ने सरकार और सरकारी एजेंसियों द्वारा किए गए राहत प्रयासों के लिए उनकी सराहना की।
सीबीसीआई के अध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस ने कहा है, कि "हमारे खुद की कारितास संस्था भी प्रभावित लोगों को राहत और उम्मीद देने हेतु हर प्रकार से सहायता प्रदान करेंगी।"
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बचावकर्मी अंदर फंसे लोगों से कोई संपर्क नहीं कर पाए हैं, लेकिन वे "जीवन के संकेत" के लिए आशान्वित हैं। मलारी में हिमस्खलन में एक पुल के बह जाने से कटे हुए एक दर्जन से अधिक गांवों के निवासियों के बीच हेलीकॉप्टरों द्वारा राहत भी वितरित की जा रही है।
अधिकारियों ने कहा कि निजी और भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने अब तक 13 गांवों के प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 100 राशन किट वितरित किए हैं, जिनकी आबादी कुल 2,500 है।
9 फरवरी को, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया, जोशीमठ में आईटीबीपी अस्पताल का दौरा किया और 7 फरवरी को तपोवन में एक छोटी सुरंग से बचाए गए 12 श्रमिकों से मुलाकात की।
पत्रकारों से बात करते हुए, रावत ने कहा कि प्राथमिकता सुरंग के अंदर फंसे लोगों को निकालना और यथासंभव अधिक से अधिक लोगों को बचाना है। अतिरिक्त भारी मशीनों को सुरंग के अंदर मलबे को साफ करने की प्रक्रिया तेज करने के लिए सेवा में लगाया गया है।

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