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"नया कानून भारतीय मिशनरी गतिविधियों को बाधित करता" -कार्डिनल
केरल में सिरोमलाबार काथलिक महाधर्मप्रान्त एरनाकुलम अंगामली के धर्माधिपति तथा केरल के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल आलेनचेरी ने भारत के नए कर कानून की प्रस्तावना का पुरजोर विरोध किया है।
कार्डिनल आलेनचेरी का कहना है कि उक्त संशोधन से भारत में निर्धनों को दी जा रही कल्याणकारी सेवाओं में बाधाएँ आयेंगी। एशियाई कलीसियाओं की प्रेस एजेन्सी "एग्लीज़े दासिये" ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित कर बताया था कि भारतीय वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण ने धर्मार्थ कार्यों पर कर भुगतान तथा विदेशों से मिलने वाली सहायता राशि सम्बन्धी कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है।
प्रस्तावित संशोधन अनुच्छेद 11, 12 और 13 से सम्बन्धित है जिसका उद्देश्य एक ही धर्मप्रान्त की एक पल्ली से दूसरी पल्ली में तथा एक ही धर्मसंघ अथवा धर्मसमाज के संस्थानों के बीच धन के हस्तान्तरण को रोकना है। कार्डिनल आलेनचेरी ने उक्त प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा है कि इस प्रकार का निर्णय भारत के उत्तरी क्षेत्रों में मिशनरी कार्यों के लिये अनुदानों को रोक सकता है।
संशोधन पर पुनर्विचार का आग्रह
ग़ौरतलब है कि इससे पहले भी 31 मई को, कार्डिनल आलेनचेरी तथा केरल में धर्मसमाजों के प्रमुख फादर सेबेस्टियन मुंडाथिकुनेल ने उक्त कानून में किसी भी बदलाव का विरोध किया था और सरकार से आग्रह किया था कि वह प्रस्तावित संशोधन पर पुनर्विचार करे, इसलिये कि यह संशोधनः किसी भी धर्म के खास सिद्धांतों के खिलाफ हैं, जो हैं "एक-दूसरे से प्यार करें, उनकी मदद करें तथा दूसरों के प्रति परोपकारी कार्यों में लगें।"
कार्डिनल महोदय ने इस बात पर गहन चिन्ता व्यक्त की कि प्रस्तावित संशोधन सरकार को कलीसियाई सम्पत्ति को बाज़ार केम मूल्य के बराबर रखने हेतु पुनर्मूल्यांकन की अनुमति देगा जिससे धर्मप्रान्तों, पल्लियों एवं धर्मसमाजी संस्थानों को अतिरिक्त कर भुगतान के लिये बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने इस बात ज़ोर दिया कि "कलीसिया सदियों से भारत में मौजूद है और हमेशा कानूनों का सम्मान करती रही है तथा हमेशा पारदर्शिता के साथ काम करती रही है, अस्तु, सरकार से आग्रह है कि वह उक्त संशोधन के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करे।"
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