भाईचारा पर संत अन्ना की पुत्रियों की 12वीं महासभा का दूसरा भाग शुरू।

संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसंघ, राँची की 12वीं महासभा का दूसरा भाग 4 जनवरी को शुरू हुआ। सभा की शुरूआत एक दिवसीय चिंतन प्रार्थना से हुई जिसमें राँची के सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेन्स ने प्रवचन दिया। महासभा, प्रेरितिक विश्वपत्र "फ्रातेल्ली तूत्ती" को अपना आधार बनायेगी।
4 जनवरी 2021 से संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसंघ, राँची (भारत) की 12वीं महासभा के दूसरे भाग का शुभारम्भ हुआ।

इसके प्रथम चरण में धर्मसंघ की नई परमाधिकारिणी एवं उनकी महासमिति का चुनाव किया गया था जो 3-7 सितम्बर 2020 को सम्पन्न हुआ था। वैश्विक महामारी कोविड-19 के अनुदेशों का पालन करते हुए इस महासभा के दूसरे चरण को स्थगित कर दिया गया था जो अब 4-12 जनवरी तक जारी रहेगा। इस व्यवसायिक महासभा में संपूर्ण धर्मसंघ का प्रतिनिधित्व करते हुए कुल 59 प्रतिनिधि सम्मिलित हैं जो संत अन्ना जेनेरालेट लोवाडीह (राँची) में सम्पन्न हो रही है। महासभा में चैपटर गाईट के रूप में श्रद्धेय फादर जोसेफ मरियानुस कुजूर ये.स. भी उपस्थिति हैं।

इस व्यवसायिक महासभा का उद्देश्य है – विभिन्न प्रांतों से प्रेषित प्रस्तावों पर विचार-विमर्श करना तथा धर्मसमाज के सही निर्देशन हेतु उपयुक्त निर्णय लेना। संत पापा के प्रेरितिक विश्व पत्र "फ्रातेल्ली तूत्ती" को आधार मानते हुए इस महासभा की मुख्य विषयवस्तु है "भ्रातृत्व की ओर"।

संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसंघ, राँची की स्थापना 26 जुलाई 1897 को ईश सेविका मेरी बेर्नादेत्त किसपोट्टा ने की थी। धर्मसमाज ने 4 मुख्य प्रेरिताई कार्यों को अपनाया है- सुसमाचार प्रचार, रोगियों की सेवा, शिक्षण कार्य एवं समाज सेवा। धर्मबहनें भारत के अलावा इटली और जर्मनी में भी अपनी सेवा दे रही हैं।

Add new comment

8 + 5 =