कोविड-19 के कारण कलीसिया ने अपने चौथे धर्माध्यक्ष को खोया। 

गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष पौल अलोइस लकड़ा का निधन 15 जून को कोविड-19 के कारण राँची के ऑर्किड अस्पताल में हुआ। वे 65 साल के थे। उनके निधन के साथ भारत की काथलिक कलीसिया ने अपने चार धर्माध्यक्षों को खो दिया है।
गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष पौल अलोइस लकड़ा का अंतिम संस्कार 16 जून को पूर्वाहन 10.00 बजे गुमला के महागिरजाघर में राँची के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो द्वारा सम्पन्न किया गया।
गुमला के विकार जेनेरल फादर सिप्रियन कुल्लू ने कहा कि धर्मप्रांत के विश्वासी 15 जून को दोपहर 2 बजे अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
अंतिम संस्कार के मिस्सा में प्रतिभागियों की संख्या को कोविड-19 दिशा-निर्देश के अनुसार सीमित रखा जाएगा।
उम्मीद की जा रही है झारखंड एवं अंडमान तथा निकट के धर्मप्रांतों से धर्माध्यक्ष बिशप पौल के अंतिम संस्कार में भाग लेंगे।  
बिशप लकड़ा कोविड-19 से मरने वाले चौथे काथलिक धर्माध्यक्ष हैं। उनसे पहले 5 मई को पोडिचेरी- कुद्दालोर के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष अंतोनी अनन्दारायर का निधन हुआ था और उसके दूसरे दिन झाबुआ के धर्माध्यक्ष बसिल भुरिया की भी मौत कोविड-19 से हुई थी। सागर के सिरो मलाबार धर्मप्रांत के सेवानिवृत धर्माध्यक्ष जोसेफ पास्टर निलांकविल का निधन 17 फरवरी को हुआ था।    
बिशप पौल के निधन पर शोकित सम्बलपूर के धर्माध्यक्ष निरंजन सौल सिन्ह ने मैंटर्स इंडिया से कहा, "मैं इस दुःखद खबर को सुनकर अत्यन्त दुःखी हूँ। वे मेरे अच्छे मित्र थे। वे बहुत सज्जन और सहानुभूतिपूर्व व्यक्ति थे। ईश्वर उन्हें अनन्त शांति प्रदान करें।"  
11 जुलाई 1955 को जन्मे बिशप पौल लकड़ा का पुरोहिताभिषेक 6 मई 1988 को राँची महाधर्मप्रांत के लिए हुआ था। 28 मई 1993 को उन्होंने गुमला धर्मप्रांत को अपनाया। वे 28 जनवरी 2006 को गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष नियुक्त हुए और 5 अप्रैल 2006 को उनका धर्माध्यक्षीय पावन अभिषेक सम्पन्न हुआ था।
बिशप पौल ने 33 वर्षों तक पुहोहित के रूप में एवं 15 वर्षों तक धर्माध्यक्ष के रूप में कलीसिया की सेवा की।
28 मई 1993 को राँची महाधर्मप्रांत से अलग दो धर्मप्रांतों का निर्माण हुआ था - गुमला और सिमडेगा। स्वर्गीय धर्माध्यक्ष माईकेल मिंज गुमला के पहले धर्माध्यक्ष थे और बिशप पौल दूसरे धर्माध्यक्ष रहे।

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