सेवा-परिचर्या

"पवित्र नारियों की सेवा-परिचर्या"

आज के सुसमाचार में प्रभु येसु अपने सुसमाचार प्रचार एवं चंगाई की मिशन यात्रा की शुरुआत अपने बारह प्रेरितों एवं कुछ स्त्रियों के समूह के साथ करते हैं। साथ ही येसु यह संदेश देते हैं कि पिता ईश्वर न्यायकर्ता एवं सजा देने वाले ईश्वर नहीं बल्कि वह एक दयालु एवं क्षमाशील ईश्वर हैं जो सारी मानव जाति को अपने पुत्र येसु के द्वारा मुक्ति दिलाना चाहते हैं। प्रभु येसु के समय में बहुत सारी स्त्रियाँ उनकी सेवायें स्वयं करने आगे आयी थीं। वे अलग- अलग समूह से आयी थीं। प्रभु येसु के व्यक्तित्व एवं संदेश से वे अत्यधिक आकर्षित एवं प्रभावित हुई थीं। सुसमाचार प्रचार के कार्य में जो भी आवश्यकताएँ थीं वे उसे पूरा करने का प्रयास करती थीं। इस प्रकार वे प्रभु येसु के मिशन कार्य को आगे बढ़ाने में योगदान देती थीं। आज कलीसिया में ऐसी मिशनरियों की सख्त जरूरत है जो अपनी प्रार्थना एवं पारदर्शी जीवन द्वारा सुसमाचार कार्य में रुचि दिखायें और आध्यात्मिक एवं आर्थिक सहायता प्रदान करें तथा पल्लियों में विश्वासी समुदाय का समर्थन करें। क्या हम येसु के लिए ऐसी विश्वासी मिशनरी बनने के लिए तैयार है। 

Add new comment

2 + 2 =