सम्बन्धी

"मेरी माता और मेरे भाई वहीं हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं"।
आज का सुसमाचार हमें माता मरियम के जीवन की ओर इंगित करता है कि वे एक माता एवं शिष्या बनकर येसु को प्रोत्साहित करती रहीं तथा पग- पग पर उनका साथ देती रहीं। किसी भी परिवार में माँ का स्थान सर्वाधिक महत्त्व एक बहुत खास मायने रखता है। माँ पूरे परिवार को अपनी तप- साधना, बलिदान तथा उपवास द्वारा ईश्वर से संयुक्त रखती है। आज के सुसमाचार में प्रभु इसी आध्यात्मिक परिवार के सदस्य बनने के लिए आमंत्रित करते हैं। वे माता मरियम के जीवन को दर्शाते हैं कि वे एक सच्ची माँ एवं आदर्श शिष्या हैं जो केवल प्रभु के वचनों में विश्वास करती हैं। हममें से प्रत्येक जो येसु के अनुयायी हैं- ईश वचन को अध्ययन करना, मनन- चिंतन करना तथा उसके अनुसार जीवन जीना- जैसे आदर्शों को याद रखना है। आज के अनावश्यक व्यस्त जीवन में, परिवारों में, सामूहिक पारिवारिक प्रार्थना एवं रोज़री माला विनती आदि कम होती जा रही है। सामूहिक प्रार्थना ही भौतिक परिवार को आध्यात्मिक परिवार में परिवर्तित करती है। हम माँ मरियम को अपने परिवार की माँ एवं सच्ची मार्गदर्शिका के रूप में स्वीकार करें ।

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