समझदार को इशारा काफी

ईश्वर ने सभी वस्तुओं को सुन्दर और अच्छा बनाया है। हम सबों को उसने अपने प्रतिरूप बनाया है, अतः हम पवित्र बनाये गये हैं। इसी बात का स्पष्टीकरण आज का दूसरा पाठ हमें देता है कि 'जिसका मिलन प्रभु से होता है, वह उसके साथ एक आत्मा बन जाता है' ( कुरिन्थियों 6:17 )। अर्थात् प्रभु का आत्मा हममें निवास करता है। इसलिए हमें यह जानना और समझना चाहिए कि हमारा शरीर पवित्र है और प्रभु के लिए है।
प्रभु स्वयं हमें किसी घटना, व्यक्ति के द्वारा या किसी अन्य प्रकार से बुलाते हैं। आज के सुसमाचार में योहन अपने दो शिष्यों को येसु के पास जाने में मदद करते हैं। वे येसु को गुजरते देख कर कहते हैं, 'देखो ईश्वर का मेमना'। 'समझदार को इशारा काफी', इस बात का साक्ष्य हमें यहाँ मिलता है जब वे दोनों शिष्य योहन की बात सुनकर येसु के पीछे हो लिए। हम कितनी बार येसु के बुलावे को पहचान पाते हैं? कितनी बार हम लोगों को येसु के पास आने या जाने में मदद करते हैं? इसके लिए हमें योहन के समान विनम्र बनने की आवश्यकता है। उनके समान यह कह सकने की हिम्मत होनी चाहिए, 'वे बढ़ें और मैं घढूँ'।

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