सच्ची महानता

प्रत्येक शिशु के जीवन की बुद्धि के पीछे कई लोगों का हाथ होता है। वृद्धि को हम देख नहीं पाते हैं क्योंकि वह छिपा हुआ सत्य है। हमारे समाज में शिक्षक वर्ग, माता- पिता एवं कई लोग जो बच्चों से लगाव रखते हैं- निःस्वार्थपूर्ण सेवा, प्यार एवं शिक्षा देते हैं। प्रभु येसु भी इसी तरह लोगों के जीवन में प्रवेश करते हैं जिनको विश्वास नहीं है। वे उनके जीवन में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं जो आत्मा से प्रेरित होकर जीवन जीते हैं और उनके सिद्धान्तों का अनुसरण करते हैं। प्रभु की दृष्टि में वे लोग सम्मानित है जो भले ही अविश्वासी हैं पर अच्छे कार्य में जुड़े रहते हैं। प्रभु ने स्वयं कहा है- जो आपके विरुद्ध में नहीं हैं- वे आपके साथ हैं। आपके लिए हैं? आज के सुसमाचार का तथ्य है- सच्ची महानता, सच्चा सम्मान- प्रभु के लिए जीना और उसको महान एवं सच्चा साबित करना। हर कोई जो ऐसा कार्य करता है उसे सम्मानित करना हमारा कर्तव्य है। यही हमारी महानता है ।

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