वे बढ़ें और मैं घटूं।

येसु के बपतिस्मा के द्वारा दो घटनाओं के बीच का सम्बन्ध उजागर होता है। पहला प्रभु प्रकाश और दूसरा बपतिस्मा। इन दोनों ही घटनाओं के द्वारा योहन बपतिस्ता इसके बीच के सम्बन्ध को स्थापित करता है। इसके द्वारा येसु की महिमा प्रकट होती है और त्रित्वमय ईश्वर की क्रियाशीलता भी प्रकट होती है। स्वर्ग से यह वाणी सुनाई पड़ती है 'यह मेरा प्रिय पुत्र है' और दूसरा कपोत के रूप में पवित्र आत्मा का उतरना। पिता का येसु को पुत्र कहकर सम्बोधित करना और पवित्र आत्मा का येसु के ऊपर आना, दोनों ही घटना त्रित्वमय ईश्वर की उपस्थिति एवं उनकी क्रियाशीलता को स्पष्ट रूप से उजागर कर देता है।
जिस बपतिस्मा के द्वारा पिता ईश्वर ने येसु को अपना प्रिय पुत्र घोषित किया, उसी बपतिस्मा के द्वारा ईश्वर हमें भी अपने पुत्र - पुत्रियाँ बनाता है और वही मिशन हम सबों को भी सौंपता है। इसी बपतिस्मा के द्वारा हम येसु ख्रीस्त के जीवन, मरण और पुनरुत्थान के सहभागी बन जाते हैं। यहाँ हम योहन बपतिस्ता की विनम्रता को भी स्पष्ट देखते हैं। उनका यह कहना 'वे बढ़ते जायें और मैं घटता जाऊँ। ' अर्थात् योहन बपतिस्ता यह अहसास दिलाते हैं कि मुक्ति के मार्ग में जो जिम्मेदारी उनको दी गई थी, उसे उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया। योहन का यह कथन भी उनके विनम्रता को दर्शाता है "तुमलोग स्वयं साक्षी हो कि मैंने यह कहा , मैं मसीह नहीं हूँ।"

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