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'वसुंधैवकुटुम्बकम'
'वसुंधैवकुटुम्बकम' की भावना रखने वाला व्यक्ति कभी अपने बड़ेपन की दुर्भावना से ग्रसित नहीं होगा क्योंकि वह हर दूसरे इंसान को अपना मानता है। जो व्यक्ति 'अहम्' की दुर्भावना का शिकार हो गया है उसके भाग्य में केवल और केवल दुर्भाग्य ही होगा। 'अहम्' की जो दुर्भावना है वह व्यक्ति को कभी सुख- शांति नहीं दे सकती है। आज के सुसमाचार में येसु एक दृष्टान्त के द्वारा इन्हीं दो भावनाओं को दर्शाते हैं। हम सभी जानते हैं कि एक फरीसी जो अहम् और स्वार्थपूर्ण ढंग से प्रार्थना करता है। क्या ईश्वर उसकी प्रार्थना से खुश होगा? नहीं होगा। बल्कि एक नाकेदार जो अपने पापों के लिए पश्चात्ताप करता और ईश्वर से दया की भीख माँगता है क्या ईश्वर उसकी दीन प्रार्थना को स्वीकार नहीं करेगा ? जरूर करेगा।
ईश्वर एक पापी से नहीं वरन् पाप से घृणा करता है। और ईश्वर एक पश्चात्ताप करते पापी का इंतजार करता है कि वह उसके पास कब लौटेगा। हम सभी विश्वास करते हैं कि एक पश्चात्तापी पापी के लिए स्वर्ग में अधिक आनन्द मानाया जाता है। इसी आनन्द को पाने और महसूस करने के लिए होशेआ नबी अपने लोगों को ईश्वर के पास लौट आने के लिए कहते हैं, 'आओ! हम प्रभु के पास लौटें। उसने हमको घायल किया है, वही हमें चंगा करेगा; उसने हमको मारा है, वही हमारे घावों पर पट्टी बाँधेगा। वह हमें दो दिन बाद जिलायेगा; तीसरे दिन वह हमें उठायेगा और हम उसके सामने जीवित रहेंगे।' हम सरल हृदय लेकर सारे हृदय से पश्चात्ताप करते हुए नबी होश्आ की वाणी पर ध्यान देकर ईश्वर के पास लौट चले और अनन्त जीवन के सहभागी बनें। चलीसे का पुण्य समय हमें अवसर देता है कि हम अपने किये पर पश्चात्ताप करें और ईश्वर के पास लौट कर आयें।
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