राई का दाना और ईश्वर की कृपा। 

येसु बढ़ने वाले बीज और राई के दाने के दृष्टांत द्वारा ईश्वरीय राज्य के मर्म को समझाते हैं। बीज रहस्यमय तरीके से धीरे- धीरे उगते और बढ़ते हैं। राई का दाना आकार में छोटा है लेकिन वह उग कर बड़ा पौधा बनने की क्षमता रखता है। राई के दाने में एक बड़ा पौधा बनने की क्षमता छिपी हुई है। इस दाने में जड़, तना, डाली, फल- फूल आदि निहित है। यह सब ईश्वर की कृपा से ही होता है। ईश्वर के राज्य का विस्तार भी रहस्यात्मक है। 
बढ़ने वाले बीज का दृष्टांत उसके चरित्र बल को भी दिखलाता है। राई का दाना उसके छोटेपन को रेखांकित करता है। लेकिन जिस तरह से यह दूसरे पौधों से बड़ा हो जाता है यह ईश्वर की कृपा का गठन प्राकृतिक तौर पर होता है। ईश्वर की कृपा हमारे आंतरिक हृदय में विनम्र भाव और वांछित ढंग से हमारी मुक्ति की कहानी शुरू करता है। ईश्वर रात और दिन गतिशील होकर कार्य करता है। हर ख्रीस्तीय को चाहिए कि वह साधारण तौर पर छोटे कार्यों को पूरे लगन एवं प्रेम से करे, और तभी वह बड़ा या महान होगा, न कि बड़े कार्य करने और नाम कमाने से।

Add new comment

9 + 8 =