यू टर्न 

आज के पहले पाठ में नबी मीका अपने लोगों को ईश्वर की दयालुता, क्षमाशीलता, महानता, शक्ति और उसकी सत्यप्रतिज्ञता के बारे में जिक्र करते हैं। मिस्र से निकालने वाले ईश्वर, चमत्कार दिखने वाले ईश्वर, अपराध हरने वाले ईश्वर, दया दिखाने वाले ईश्वर और अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने वाले ईश्वर के बारे में आशावादी वाणी सुनाते हैं। अपनी चुनी हुई प्रजा की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं और कहते हैं कि 'तू अपना डण्डा ले कर अपनी प्रजा, अपनी विरासत की भेड़ों को चराने की कृपा कर। वे जंगल और बंजर भूमि में अकेली ही पड़ी हुई हैं। प्राचीन काल की तरह उन्हें बाशान और गिलिआद में चरने दे।' मीका की बातों से जीवन का संचार होता है और लोगों में आशा की ज्योति जगने लगती है। ईश्वर ही हमारी अंतिम आशा और उम्मीद है।
येसु की वाणी और चमत्कारी कार्यों में ईश्वरीय शक्ति, अनुकम्पा और दया झलकती थी। इसलिए येसु का उपदेश सुनने के लिए नाकेदार और पापी भी उनके पास आया करते थे। कुछ लोग तो येसु के व्यवहार से बहुत ही परेशान थे क्योंकि वह पापियों का स्वागत करता और उनके साथ खाता- पीता था। ऐसी परिस्थिति में येसु लोगों को खोये हुए लड़के का दृष्टांत सुनाते हैं। येसु लोगों को यह बताना चाहते हैं कि खोये हुए लड़के की तरह हम भी बहुत बार अपनी राह से भटक जाते हैं। संमार्ग से भटकना, बुराइयों में पड़ना, स्वार्थपूर्ण जीवन जीना, नैतिक मुल्यों से दूर जाना, धन- दौलत का दुरुपयोग करना आदि हमारी मानवीय कमजोरियों को दर्शाता है। दयालु पिता और खोये हुए लड़के का पश्चात्तापी हृदय ईश्वरीय अनुकम्पा और प्रेम को दर्शाता है। हम सभी विश्वास करते हैं कि ईश्वर प्रेम है और दया से परिपूर्ण है। वह अपने पश्चात्तापी पुत्र- पुत्रियों की राह देखते रहते हैं। ग्रन्थ गवाही देता है कि एक पश्चात्तापी पापी के लिए स्वर्ग में अधिक आनन्द मनाया जाता है।
हम इस पुण्य काल में सही पछतावा कर सकें। हम अपने दयालु और प्रेमी पिता के पास लौट कर आयें क्योंकि वह हमारे लौटने का इंतजार करते हैं। हमें गले से लगाना चाहते हैं। हमें अपनाना चाहते हैं। दयालु पिता हमें पश्चात्ताप करने की कृपा दे।

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