मेरे पीछे चले आओ

प्रभु येसु पिता की योजना के अनुसार सुसमाचार सुनाने के प्रारम्भ में ही अपने बारह (12) शिष्यों को चुनते हैं। प्रेरितों के चुनाव करने में हम पाते हैं कि जैसे ही येसु सिमोन और अन्द्रेयस को बुलाते हैं, वे तुरन्त अपना काम- धन्धा छोड़कर उनके पीछे हो लेते हैं। " मेरे पीछे चले आओ मैं तुम्हें मनुष्यों का मछुए बनाऊँगा" ( मारकुस 1 : 17) । उन्होंने येसु से कोई प्रश्न नहीं पूछा। यही बात जेबेदी के पुत्र याकूब और योहन के साथ भी होता है। यहाँ पर यह बात गौर करने योग्य है कि यह उन शिष्यों की स्व- इच्छा को दर्शाता है। 
संत मारकुस का सुसमाचार पर गौर करने से पता चलता है कि येसु ने सारी मानव जाति को दो श्रेणियों में बाँटा है। एक वे लोग हैं जो आशारहित संसार में प्रतिदिन उत्सव मनाते जी रहे हैं, जिन्हें न तो अपनी बुलाहट की पहचान है, और न ही इसकी परवाह। वे बस मनमाने तरीके से जी रहे हैं। दूसरे वे लोग है जो इस आशारहित संसार में भी आने वाले जीवन (अनन्त जीवन) की आशा में आनन्दित रहते हैं। ऐसे लोग कम ही हैं। स्वयं प्रेरित भी जो सिर्फ गिने- चुने ही थे, पर एक- दूसरे का सहयोग करते हुए, भरोसा करते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ते गए। इसी को अंग्रेजी में 'टीम वर्क' कहते हैं। येसु ने इन साधारण लोगों को चुनकर बुलाया और नियुक्त किया, कि वे अपने कार्य को आगे बढ़ायें। आज कई अगुवाई करने वाले पुरोहित, धर्मबन्धु और धर्मबहनें और सारी मानव जाति को 'टीम वर्क' करने की जरूरत है।

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