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मिलन की तैयारी
दस कुँवारियों का दृष्टान्त सिखाता है कि हम प्रभु येसु के आगमन की प्रतीक्षा सतर्कता, तत्परता, जागरूकता से तैयार करें । प्रभु येसु से मिलने का वक्त कभी भी आ सकता है। सन्त पौलुस आज के दूसरे पाठ में प्रभु येसु के पुनरुत्थान का आश्वासन देते हैं, वैसे ही उनके आगमन का भी आश्वासन देते हैं। उनसे मिलने के लिए किस प्रकार हमें तैयारी करनी चाहिए। हमें सप्रयोजन से, प्रार्थना से, सद्कर्मों से, दृढ़ संकल्प से, सकारात्मक अनुसरण व पालन से, उनके मिलन के लिए तैयारी करना चाहिए। प्रज्ञा संपन्न, समझदार कुँवारियाँ कुप्पियों में तेल लायीं थी, जिससे वे जलती मशाल लेकर अनापेक्षित दूल्हे का स्वागत कर सकें। दूल्हा प्रभु येसु का प्रतीक है। समझदार कुँवारियाँ, विवेक सम्पन्न विश्वासियों का प्रतीक हैं। यहूदी प्रथा के अनुसार तेल अच्छे कार्यों, प्रेम और दया के कार्यों का प्रतीक है। अतः प्रेम, दया, करुणा, अनुकम्पा जैसे महान सद्गुणों को अपने जीवन में अनुसरण करने से हम प्रभु येसु के पुनरागमन के लिए तैयार होंगे। व्यक्तिगत विश्वास व तैयारी से ही हम स्वर्गराज्य में प्रवेश कर सकते हैं। चिन्तनः जब ऊंध जाते, तब खो जाते हैं। शिक्षा की सदिच्छा प्रज्ञा का प्रारम्भ है। (प्रज्ञा 6:17)
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