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मन परिवर्तन
आज के पहले पाठ में संत पौलुस के मन परिवर्तन की बात की गई है। मन परिवर्तन के पूर्व साऊल ना मसे विख्यात इस शख्स ने ख्रीस्तीयों पर घोर अत्याचार किया। साऊल की सोच संकीर्ण थी, लेकिन मन परिवर्तन के बाद उसकी सोच विस्तृत हो गयी। वह सोचता था कि ख्रीस्तीयों पर अत्याचार कर उसने कोई बुरा काम नहीं किया है। वह सन्त स्तेफन की मृत्यु का साक्ष्य देता है। वह यह भी सोचता था कि वह अपनी जीवन शैली को अपनी इच्छा अनुसार ढाल सकता है।
लेकिन दमसकुस के रास्ते में उसने येसु के प्यार को पहचाना, येसु की बुलाहट को पहचाना और जाना कि पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त, ईश्वर के पुत्र मसीह हैं। उसे समझ में आ गया कि वह भी एक खास काम के लिए बुलाया गया है। दमसकुस के रास्ते में येसु ने पहले उसे घोड़े से गिराया। फिर उसे उठने एवं आगे बढ़ने के लिए कहा। साऊल ने कभी नहीं सोचा था, कि येसु स्वयं उनसे मिलने आयेंगे और उन्हें चुनौती देंगे। येसु ने उसके जीवन में एक नया मोड़ लाया। आज जब हम संत पौलुस के मन परिवर्तन का पर्व मना रहे हैं, तो उनके माध्यम से हमें भी येसु चुनौती देते हैं कि हम अपने को बदलें, अपनी सोच के अनुसार नहीं वरन ईश्वर की इच्छा के अनुसार जीवन व्यतीत करें।
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