मन की उपजाऊ क्षमता |

बीज बोने वाले के दृष्टाँत में कुछ बीज रास्ते में, कुछ बीज पथरीली भूमि पर, कुछ बीज कंटीले जमीन में और कुछ बीज उपजाऊ भूमि में गिरे। यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि बीज बोने वाला उपर्युक्त चार प्रकार की भूमि में बीज नहीं बोया; किन्तु इन बीजों को (ईश्वरीय वचन को) हमने लेने के लिए हमारे हृदय को किस स्थिति में किया या करते हैं का सवाल है। यहाँ यह भी गौर करने वाली बात है कि इस दृष्टाँत में बोने वाले के विषय में कुछ भी नहीं कहा गया है, बल्कि हमारे ध्यान को अलग- अलग मिट्टी पर केन्द्रित किया गया है।
इस दृष्टाँत से हमें जो सीख मिलती है, वह इस प्रकार हो सकती है: अच्छी मिट्टी बनो ताकि तुम फसल की पैदावार बढ़ा सको। लेकिन इस दृष्टाँत का अर्थ इससे कहीं अधिक है। सबसे पहले हम एक ही प्रकार के मिट्टी नहीं हो सकते हैं। हम सभी के हृदय में विभिन्न प्रकार के मिट्टी विद्यमान हैं। बोने वाला मिट्टी का निरीक्षण किये बिना ही बीज बोता रहता है। हममें से प्रत्येक ख्रीस्तीय, जो येसु ख्रीस्त का संदेश सुनाते हैं उन सभों की भी यही शैली होनी चाहिए। हर परिस्थिति में, चाहे वह विघ्न- बाधा, प्रतिरोध या रुकावट होने या तिरस्कृत होने पर भी लोगों को ईश्वरीय संदेश को सुनाते जाना है।

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