भविष्य की निश्चितता

हमारे जीवन की परिस्थितियाँ क्या होंगी? वे कैसे होंगी? वे किस तरह करवट लेंगी? ये सब इस बात पर निर्भर करता है कि हम किसके सानिध्य में रहते हैं? हम किसकी संगति करते हैं? किसका आतिथ्य स्वीकार करते हैं? किसके यहाँ ठहरना चाहते हैं? अगर हम अपने जीवन को सुरक्षित, शांतिपूर्ण और आनंदमय बनाना चाहते हैं तो यह हमारे लिए बहुत जरूरी है कि हम सही लोगों की संगति एवं सान्निध्य में जीवन- यापन करें। तोबियस ने अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव में स्वर्गदूत की सलाह से रागुएल के यहाँ ठहरना स्वीकार किया। वह वास्तव में उसका संबंधी भी था। वह एक धार्मिक व्यक्ति भी था। तोबियस को यहाँ कोई तकलीफ भी नहीं हुई। उसका मनोरथ भी पूरा हो गया। ईशभक्तों का साहचर्य ईश्वर के साथ हमारा सान्निध्य बढ़ाता है। हमारी कोशिश जीवन में यही होनी चाहिए कि हम ऐसे लोगों के सानिध्य में रहें। उनकी संगति करें। ऐसे लोगों की पहचान करने में हमें कभी- कभी धोखा हो सकता है। हम गलती कर सकते हैं। ईश्वर की दिव्य प्रेरणा ऐसे समय में हमारा मार्गदर्शन कर सकती है। अतः हमें ईश्वर का मार्गदर्शन ढूँढना ही चाहिए। तोबियस ने ऐसा ही किया था। पूरी यात्रा में ईश्वर का दूत तोबियस का सहयात्री बन कर साथ चला। वस्तुतः जीवन के मार्ग में इसी तरह हमारे लिए ईश्वर के साहचर्य की जरूरत है। अगर हम थोड़े समय के लिए भी ईश्वर को छोड़ देंगे या उनसे अलग हो जायेंगे तो यह विनाशकारी हो सकता है। इस बात पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है। हे ईश्वर, मैं आप पर श्रद्धा रखता हूँ!

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