धन्य है प्रभु का नाम

"मेरे नाम के कारण सब लोग तुमसे बैर करेंगे, किन्तु जो अन्त तक धीर बना रहेगा, उसे मुक्ति मिलेगी।" इस कथन का प्रमाण योब का जीवन है, जिसे हमने आज के पहले पाठ में सुना। शैतान ने योब की परीक्षा ली। शैतान ने उसकी सुख- शान्ति, धन- सम्पत्ति, पुत्र- पुत्रियों को योब से छीन लिया। फिर भी अपनी धार्मिकता के कारण और ईश्वर पर भरोसा रखने के कारण उसने धैर्य खोया नहीं और ईश्वर को कोसा नहीं। अपने मित्रों तथा रिश्तेदारों से योब अपमानित किया गया। फिर भी योब ने कहा, "प्रभु ने दिया था, प्रभु ने ले लिया। धन्य है प्रभु का नाम!" यह कथन अभिव्यक्त करता है कि योब ने ईश्वर में दृढ़ विश्वास, अटल भरोसा रखा और विश्वस्त और विश्वसनीय जीवन बिताया। इसलिए प्रभु ने योब को पिछले दिनों की अपेक्षा अधिक आशीर्वाद दिया। फिर उसे सुख- शान्ति, धन- सम्पत्ति, पुत्र- पौत्रों का वरदान तथा दीर्घ आयु प्राप्त हुई। इसलिए संकट काल में भी ईश्वर पर भरोसा रखें और ईश्वर की सर्वशक्तिमत्ता तथा अपनी अल्पज्ञता को स्वीकार करें। जब ईश्वर के राज्य की वृद्धि होती है, शैतान का राज्य व शक्ति कमजोर हो जाता है।

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