दैनिक आहार 

शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से पुष्ट रहने के लिए हमें दैनिक आहार की जरूरत है। इस बात से येसु भली- भाँति वाकिफ़ थे। वे यह भी जानते थे कि पिता की महिमा को लोगों के बीच प्रकट करने के लिए ऐसे अवसर बार- बार नहीं मिलते हैं। अत : उन्होंने इस अवसर को हाथ से जाने नहीं दिया, जब लोगों की भारी भीड़ उनके वचनों को सुनने के लिए दूर- दूर से आयी हुई थी। येसु ने पाँच रोटियों और दो मछलियों से पिता की कृपा से वहाँ उपस्थित सभी लोगों को खिला कर तृप्त कर दिया। इस प्रकार येसु ने एक तीर से दो शिकार किया। पहला यह कि उन्होंने न केवल उनकी शारीरिक भूख मिटायी, वरन् मानसिक और आध्यात्मिक भूख को भी शांत किया।
दूसरा, उन्होंने लोगों के बीच ईश्वरीय विश्वास का बीजारोपण उन के दिलों में किया। अगर हम इस चमत्कार को अलग नजरिये से देखेंगे, तो हमें इसमें तीन पात्र नजर आते हैं। पहला जनसमूह, जो हर प्रकार से भूखे थे, जिनकी भूख शांत करना पहली प्राथमिकता थी। दूसरा येसु के शिष्य, जो जनसमूह की जरूरतों की चिन्ता कम ही या नहीं के बराबर करते थे। तीसरे येसु स्वयं, जो हर किसी की जरूरतों को जानते और समझते हैं, तथा लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, या पूरा करना चाहते हैं। अत : इससे यह बात स्पष्ट है कि लोगों की सेवा या धर्म कार्य करने से पहले हमें लोगों को और उनकी आवश्यकताओं को जानने और समझने की जरूरत है।

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