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तुम ईश्वर दूर नहीं हो।
एक शास्त्री के प्रश्न करने पर येसु ने उत्तर दिया और कहा, "पहली आज्ञा यह है- हे इस्राएल सुनो! हमारा प्रभु ईश्वर एकमात्र प्रभु है। अपने प्रभु ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करो। दूसरी आज्ञा यह है - अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। इन से बड़ी कोई आज्ञा नहीं है। "यह उत्तर सुनकर वह शास्त्री बहुत खुश हुआ और उसने कहा, "यह हर प्रकार के होम और बलिदान से बढ़कर है। "फिर येसु ने उसका विवेकपूर्ण उत्तर सुनकर उस शास्त्री को सराहते हुए कहा, "तुम ईश्वर दूर नहीं हो।" बहुत बार बुद्धिमान और समझदार लोग संहिता की बातों और नियम- कानून आदि को अच्छी तरह से जानते हैं परन्तु उनका पालन नहीं करते हैं। इस तरह के लोगों की धार्मिकता और आध्यत्मिकता छिछली होती है क्योंकि वे दिखावा अधिक करते हैं।
नबी होशेआ अपने लोगों को ईश्वर के पास लौट आने के लिए आग्रह करते हैं। वह उनको अपने ईश्वर और सच्चे ईश्वर का वास्ता दिलाते हैं और कहते हैं कि हमारा ईश्वर सर्वशक्तिमान और दयालु है। वही हमारी रक्षा करने में समर्थ है। नबी होशेआ अपने लोगों में आशा और उम्मीद भरी बातें करते हुए कहते हैं, "मैं इस्राएल के लिए ओस के सदृश बन जाऊँगा। वह सोसन की तरह खिल उठेगा और लेबानोन के देवदार की तरह जड़ें जमायेगा। उसकी शाखाएँ दूर तक फैल जायेंगी, उसकी शोभा जैतून के सदृश और उसकी सुगंध देवदार की तरह होगी" सचमुच जो ईश्वर से जुड़ा होता है उसे किसी बात की कोई कमी नहीं होती है। और इसीलिए नबी होशेआ इस्राएल की जनता को अपने ईश्वर के पास लौट आने का निमंत्रण देते हैं। चालीसे के इस पुण्य काल में हमें सारे हृदय से पश्चात्ताप करते हुए ईश्वर के पास लौट आना चाहिए ताकि हम उनकी छत्रछाया में शांति पा सकें।
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