'टीम वर्क'

पुराने व्यवस्थान में हम पाते हैं कि ईश्वर ने अपने को विभिन्न रूपों में प्रकट किया। वे कभी हवा के झोकों में, कभी बादल के रूप में तो कभी आग के रूप में अपनी प्रजा के साथ बातें किया करते थे। बाद में उन्होंने नबियों, राजाओं और प्रकृति के माध्यम से अपनी प्रजा से बातें की, मुक्ति का इतिहास इसका साक्ष्य है। अंततः उन्होंने अपने पुत्र के द्वारा स्वयं को प्रकट किया। इसका सबसे सटीक और सही साक्ष्य है येसु का यह कथन “जिसने मुझे देखा है उसने पिता को भी देखा है।" 
संत मारकुस का सुसमाचार पर गौर करने से पता चलता है कि येसु ने सारी मानव जाति को दो श्रेणियों में बाँटा है। एक वे लोग हैं जो आशारहित संसार में प्रतिदिन उत्सव मनाते हुए जी रहे हैं, जिन्हें न तो अपनी बुलाहट को पहचान है, और न ही इसकी परवाह। वे बस मनमाने तरीके से जी रहे हैं। दूसरे वे लोग है जो इस आशारहित संसार में भी आने वाले जीवन (अनन्त जीवन) की आशा में आनन्दित रहते हैं। ऐसे लोग कम ही हैं। स्वयं प्रेरित भी जो सिर्फ गिने- चुने ही थे, पर एक- दूसरे का सहयोग करते हुए, एक दूसरे पर भरोसा करते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ते गए। इसी को अंग्रेजी में 'टीम वर्क' कहते हैं। येसु ने इन साधारण लोगों को चुनकर बुलाया और नियुक्त किया, कि वे उनके कार्य को आगे बढ़ायें। आज कई अगुवाई करने वाले पुरोहित, धर्मबन्धु और धर्मबहनें और सारी मानव जाति को  'टीम वर्क' करने की जरूरत है।

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