जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है 

प्रारंभ से ही ईश्वर ने अपनी चुनी हुई प्रजा को प्यार किया और उनके अपराधों को अंदेखा किया था। ईश्वर ने मनुष्य की सृष्टि की। उसे अपने प्रतिरूप में बनाया ताकि अपनी महिमा से उसे महिमान्वित करे और अपनी छत्रछाया में रखे। ईश्वर प्रेम और सतप्रतिज्ञ है इसे बारम्बार अपने सेवकों, पूर्वजों और नबियों के द्वारा बतलाया। लेकिन इस्राएली जनता की अकड़ कभी कम नहीं हुई। वे ईश्वर की आज्ञाओं का उल्लंघन करते रहे और हठधर्मी बने रहे। पहला पाठ कहता है , वे अकड़ कर बुराई करते रहे और अपने पूर्वजों से अधिक दुष्ट निकले।' चालीसे के इस पुण्य काल में हमें ईश्वर के पास लौट आने का निमंत्रण मिलता है। 
येसु एक गूंगे व्यक्ति को चंगा कर ईश्वर की महिमा को प्रकट करते हैं। येसु के विरोधी उनपर अभियोग लगाते हुए कहते हैं कि वह बेलजेबुल की सहायता से अपदूतों को निकालता है। ईश्वर ने यह कह कर अपने पुत्र को इस संसार में भेजा कि लोग उनमें विश्वास करें और अनंत जीवन प्राप्त करें। लेकिन ठीक इसके विपरीत हुआ। लोगों ने ईसा पर भी विश्वास नहीं किया। उन्होंने येसु के सामर्थ्य पर भी यकीन नहीं किया। वे येसु के सामर्थ्य की परीक्षा लेने के लिए स्वर्ग से कोई चिह्न माँगते रहे। सुसमाचार पाठ में येसु अपने विरोधियों से कहते हैं, "जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है।" 
मानव- जाति अपने पापाचरण के कारण ईश्वर से दूर चली जाती है और वह हठधर्मी बनी रहती है। यह मानवीय अवगुण है। लेकिन ईश्वर ने अपने सेवकों के प्रति की हुई प्रतिज्ञा के अनुसार अपनी प्रजा को कभी नहीं त्यागा। यह ईश्वरीय गुण है जो हमेशा बना रहता है। ईश्वर जुमरे कमजोर स्वभाव को सबल बनाये ताकि हम उनके पास लौट सकें।

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