जीवन के चुनाव 

पवित्र भूमि में प्रवेश करने के पहले मूसा इस्राएलियों को उपदेश देते हैं जिसका विवरण आज के पहले पाठ के रूप में विधि विवरण ग्रंथ में पाते हैं। मुख्य विषय है- जीवन और मरण, हर्ष और विषाद एवं आशीर्वाद और अभिशाप के बीच चुनाव। सच्चाई के ईश्वर अपने भक्तों को स्पष्ट शब्दों में बतलाते हैं कि उनके साथ जीना , चलना या अनुकरण का अर्थ क्या है। जीवन के चुनाव द्वारा आशीर्वाद प्राप्त होगा। हम जीते रहेंगे। संख्या वृद्धि, सभी क्षेत्रों तथा राज्य में सदा ही आगे रहेंगे, नहीं तो हम नष्ट हो जाएँगे। हमें चाहिए कि हम पिता से जुड़े रहें, जीवन को चुनें, सच्चाई में बढ़ें और दूसरे राज्यों के बीच हम अग्रणी बने रहें। 
सुसमाचार में येसु अपने चेलों को स्पष्ट रूप से बताते हैं कि उन्हें दु: ख रूपी जीवन ही जीना है। दूसरों के हाथों सौंपे जायेंगे, सताए तथा मार डाले जाएँगे मगर तीसरे दिन जी उठेंगे। यही पास्का का रहस्य है। क्रूस के बिना विजय की मुकुट नहीं मिल सकती है। इन बातों को शिष्य शायद पूर्णतया नहीं समझ पाएँ होंगे लेकिन वास्तविकता यह है कि अगर उनका अनुसरण करना चाहें तो आत्मत्याग हर कीमत में अति आवश्यक है। ख्रीस्त की भाँति दुःख सहकर ही उनके जीवन के सहभागी हो सकेंगे, नहीं तो जीवन व्यर्थ है। दु: ख में भी ख्रीस्त के प्यार को समझ सकें, जी सकें और दूसरों को इसी बात को समझा सकें। इस कृपा के लिए चालीसे के पुण्य काल में प्रार्थना करें।

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