जिसका कोई नहीं होता उसका ईश्वर होता है। 

लोग ठीक ही कहते हैं कि जिसका कोई नहीं होता उसका ईश्वर होता है। अड़तीस वर्ष से बीमार एक अर्धांगरोगी पर येसु तरस खाते हैं और उससे पूछते हैं, "क्या तुम अच्छा हो जाना चाहते हो?" वह रोगी कहता है, "महोदय! मेरा कोई नहीं है, जो पानी के लहराते ही मुझे कुण्ड में उतार दे। मेरे पहुँचने से पहले ही उस में कोई और उतर पड़ता है।" वह रोगी नहीं जानता था कि पूछने वाला कोई दूसरा नहीं पर खुद ईश्वर का पुत्र मसीह हैं। येसु ने उससे कहा, "उठ कर खड़े हो जाओ। अपनी चारपाई उठाओ और चलो। "आज का सुसमाचार पाठ गवाही देता है कि उसी क्षण वह मनुष्य अच्छा हो गया और अपनी चारपाई उठाकर चलने- फिरने लगा।
येसु जहाँ- कहीं भी जाते हैं वहाँ का मार्ग प्रसस्त हो जाता है, जो कुछ भी कहते और करते हैं वह सत्य है और उसकी उपस्थिति से बहुतों में जीवन का संचार होता है। क्योंकि येसु मार्ग, सत्य और जीवन है। वह जीवन का स्रोत और कृपा का झरना है। जिसके सान्निध्य और साहचर्य में रहने वाला भक्त को कभी किसी बात की कमी नहीं होती है। वह तो जलधारा के किनारे लगाये पेड़- पौधों के सदृश है जिनके पत्ते कभी नहीं मुरझाते और उनमें कभी फलों की कमी नहीं होती है। अर्थात् वह इंसान ईश्वर का कृपापात्र बन जाता है। क्योंकि उसका स्रोत खुद येसु होते हैं। इस पुण्य काल में हम अपने ईश्वर के प्रति प्रेमपूर्ण संबंध को और मधुर बनायें ताकि उसके प्रेम, उसकी दयालुता और क्षमाशीलता को और अधिक अनुभव कर सकें। 

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