चालीसे का चौथा रविवार | उपदेश | RVA HINDI

आज हम चालीसे के चौथे रविवार में प्रवेश करते हैं। ईश्वर हममें से प्रत्येक को अपने दिव्य प्रकाश से आलोकित करना चाहते हैं। हर अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थिति में वह हमारे साथ रहता है। हमारा ईश्वर सर्वशक्तिमान है और दया से परिपूर्ण है। उनकी पवित्र योजनाओं को हम कभी नहीं समझ सकते हैं। वह अपनी योजनाओं को अपने निर्धारित समय पर पूरा करते हैं। आज के सुसमाचार पाठ में येसु ने एक जन्मान्ध को दृष्टिदान दिया। येसु खुद कहते हैं कि यह व्यक्ति इसलिए जन्म से अन्धा है ताकि इसकी चंगाई के द्वारा ईश्वर की महिमा प्रकट हो जाये। और सचमुच येसु ने उस व्यक्ति को चंगा कर ईश्वर की महिमा प्रकट की और बहुतों ने येसु में विश्वास किया। 
ईश्वर अपने काम को अपने ही ढंग से सम्पादित करता है। वह बाहरी रूप- रंग नहीं देखता और किसी के साथ पक्षपात भी नहीं करता है। ईश्वर ने समूएल के द्वारा यिशय के पुत्रों में से एलीआब, अबीनादाब और शम्मा को नहीं चुना बल्कि सबसे छोटे बेटे को जो भेड़ें चराया करता था अर्थात् दाऊद को चुना और उसका अभिषेक किया। इसके बाद से ईश्वर का आत्मा दाऊद पर छा गया और उसी दिन से उसके साथ विद्यमान रहा। हम सभी जानते हैं कि ईश्वर जब किसी को अपने काम के लिए चुनते हैं तो उसका साथ भी देते हैं। 
येसु ने खुद कहा था कि वह संसार की ज्योति है। येसु को इस संसार में इसलिए भेजा गया कि वह अपनी ज्योति से सारे संसार को ज्योतिर्मय करे और अंधकार से अपने लोगों को बचाये। जितनों ने येसु को अपनाया वे ज्योति की संतान बन गए। येसु हमें अध्यात्मिक चंगाई देना चाहते हैं ताकि हम ईश्वर की इच्छा को जान सकें और उसे पूरी कर सकें। हम बहुत सारे दृष्टिकोण से अंधे होते है। हमें अपने अंधेपन से बाहर निकल कर येसु के प्रकाश से ज्योतोर्मय होकर दूसरों को भी येसु के प्रकाश में लाने के लिए आमंत्रित किये जाते है।

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