एक महती ज्योति

अंधकार में रहने वाले लोगों ने एक महती ज्योति देखी; मृत्यु के अन्धकारमय प्रदेश में रहने वालों पर ज्योति का उदय हुआ। सन्त मत्ती 04 :16 

येसु ख्रीस्त की जीवनशैली एवं उनके कार्य करने में तीन मौलिक परिवर्तन लाने के तीन मुख्य कारण हैं। पहला यह कि येसु योहन की गिरफ्तारी के बाद अपने शहर नाजरेत को छोड़कर कफरनाहूम की ओर प्रस्थान करते हैं। वे यह जानते थे कि नाजरेत में लोग उनकी शिक्षा पर विश्वास नहीं करेंगे। अत : दूसरे स्थान से वे सुसमाचार का प्रचार प्रारम्भ करना बेहतर समझते हैं। इससे नबी इसायस का यह कथन भी पूरा हुआ - "जबुलोन प्रान्त ! नफ़ताली प्रान्त ! समुद्र के पथ पर, यर्दन के उस पार, गैरयहूदियों की गलीलिया ! अन्धकार में रहने वाले लोगों ने एक महत्ती ज्योति देखी है: मृत्यु के अन्धकारमय प्रदेश में रहने वालों पर ज्योति का उदय हुआ।"
दूसरा यह कि वे घूम - घूम कर यहूदियों के सभागृहों और अन्य स्थानों में सुसमाचार का प्रचार करने लगे और लोगों को पश्चाताप का संदेश देने लगे।
तीसरा और अन्तिम कार्य यह है कि वे रोगियों या बीमारी से पीड़ित लोगों को चंगा करने लगे। वे एक प्रकार से उन लोगों के लिए समय निकालकर, उनके साथ अपना थोड़ा वक्त बिताने लगे। इसका कारण यह था कि रोगी या बीमार व्यक्ति न केवल शारीरिक वरन् मानसिक एवं आत्मिक चंगाई भी प्राप्त करें। वास्तव में येसु जहाँ कहीं भी गये, उन्होंने लोगों में नवजीवन का संचार किया। उन्होंने लोगों को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाया, असत्य से सत्य की ओर अग्रसर किया। मृत्यु से जीवन की ओर लाने का कार्य किया। उनका यह कथन इसलिए सार्थक है- " मार्ग , सत्य और जीवन मैं हूँ।" हम भी येसु के इन कथनों को अपने में आत्मसात् कर लें, जिससे लोगों को हमारे द्वारा सही रास्ते का ज्ञान मिल सके, हम सत्य के साक्षी बन जायें और इस प्रकार लोगों को नवजीवन देने का माध्यम बन जायें।

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