एक प्रेममय आमंत्रण

येसु ख्रीस्त ने अपने मिशन कार्य का आगाज बहुत ही निर्भयता और दृढ़ता से किया। उनके घोषणा पत्र में यह झलकता है जब उन्होंने नबी इसायस के ग्रन्थ को पढ़ा। उन्होंने ईश्वर के राज्य के आगमन की उद्घोषणा की और लोगों पर तरस खाकर पूरे संसार के लोगों को एक प्रेममय आमंत्रण दिया कि वे ईश्वर के प्रेम को पहचान लें। येसु के कथन में आदेश था, निर्भयता थी कि वह कोढ़ियों को स्पर्श कर सकें, लोगों के पाप क्षमा कर सकें, उनके साथ भोजन कर सकें, रूढ़िवादी परम्पराओं की दीवार गिरा सकें। उनके लिए सब कुछ संभव था, क्योंकि वे पिता से जुड़े हुए थे। 
अशुद्ध आत्मा से प्रभावित व्यक्ति ईश्वरीय पवित्रता के मार्ग पर मानव प्रतिरोध का प्रतीक है। येसु ख्रीस्त एक व्यक्ति को अशुद्ध आत्मा से मुक्ति दिलाते हैं जो न केवल शैतान पर ईश्वर के अधिकार एवं बल को प्रदर्शित करता है, बल्कि उन लोगों को आशा भी प्रदान करता है जिसका जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। हमें ईश्वर के वचन पर विश्वास करना चाहिए जिसमें हमारी भलाई निहित है और वह हमारे जीवन में परिवर्तन लाता है। हमें ईश्वर के वचन को स्वीकारना है ताकि हम ईश्वर को अपने अन्दर कार्य करने देते हैं तो हम उसकी चंगाई के पात्र बनते हैं। 
हमारे लिए भी यह संभव है यदि हम ईश्वर से जुड़े रहें और प्रार्थना का सहारा लें।“ घुटने टेक कर और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने के द्वारा मनुष्य विज्ञान की शक्ति से भी ज्यादा शक्ति पा सकते हैं और साहसी बन सकते हैं" यह कथन है महान् वैज्ञानिक अलबर्ट आइन्सटाइन का। आज भी हम चंगाई प्रार्थना सभाओं में भाग लेते हैं। हमने कईयों को चंगाई का साक्ष्य देते हुए देखे एवं सुने हैं। यह इसलिए कि चंगाई देने के लिए प्रार्थना करने वाले और चंगाई प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करने वाले दोनों ही ईश्वरीय शक्ति पर विश्वास करते हैं। इसी विश्वास की आज भी हमें जरूरत है।

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