आमंत्रण

ईसा का जन्म ही इसलिए हुआ था कि वे सारी मानव जाति को मुक्ति का संदेश दें, एवं मुक्ति कार्य में सहभागी बनायें। येसु के लिए किसी प्रकार का कोई सामाजिक बन्धन नहीं था, या वे नहीं मानते थे। जाति भेद या कार्य का बँटवारा आदि कोई मायने नहीं रखता था। येसु के लिए सिर्फ एक ही जाति थी, "मानव जाति।" समुद्र के तट पर लोगों को शिक्षा देने के पश्चात् येसु जब रास्ते से गुजर रहे थे, तब उन्होंने लेवी को न्योता दिया कि वह सुसमाचार प्रचार में सहभागी हो। लेवी ने येसु के आमंत्रण को तुरन्त स्वीकार किया। उस समय लेवियों को नीची या घृणा की दृष्टि से देखा जाता था। फिर भी येसु लेवी के घर में नाकेदार और पापियों के साथ भोजन करने लगे। यह इसलिए कि उन्होंने उन लोगों के हृदय की थाह ली थी और उनके हृदय में परिवर्तन को भाँप लिया था। येसु का यह व्यवहार कुछ लोगों को अच्छा नहीं लगा, किन्तु येसु का कार्य एवं व्यवहार साफ- साफ इंगित करता है कि वे सभी मानव जाति की मुक्ति के लिए आये। इसलिए आज येसु हम सबों को सारी मानव जाति के उद्धार के लिए कार्य करने का सन्देश देता हैं। बहुधा हम लोगों के लिए काम करने में भी चयन करते हैं, कि हम उन लोगों के बीच काम करेंगे, हम उस स्थान पर काम करेंगे आदि। हम स्वयं को सीमित कर लेते हैं, अपने को सीमाओं में बाँध लेते हैं। इसलिए हम भरोसे के साथ अनुग्रह के सिंहासन के पास आये, जिससे हमें दया मिले और हम कृपा प्राप्त करें जो हमारी आवश्यकताओं में हमारी सहायता करेगी। 

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