आप ईश्वर के पुत्र है।

आज के युग में बहुत से स्थानों पर करिश्माई प्रार्थना या चंगाई प्रार्थना महासभा का आयोजन होता है। जब लोग किसी विशेष दल या नाम के लोगों के विषय में चंगाई का साक्ष्य देते हैं, तो भीड़ के भीड़ उस ओर चल पड़ते हैं। उसी प्रकार ईसा के समय में भी होता था। प्रभु येसु के पीछे लोगों की भीड़ लगी रहती थी। यह एक आध्यात्मिक, सामाजिक एवं चंगाई की क्रांति थी। समाज में ऐसा महौल था कि लोग येसु का वचन सुनने के लिए तथा अपनी बीमारी से चंगाई पाने के लिए 'उनका (येसु का) स्पर्श करने के लिए गिरे पड़ते थे' (मारकुस 3:10)।
ऐसी स्थिति में येसु, लोगों की आवश्यकता को देख एवं जानकर, विश्राम दिवस के दिन भी, लोगों को उनकी बीमारियों से चंगा करते और अपदूतग्रस्त लोगों को अपदूत के प्रभाव से मुक्त करते थे। इस व्यस्तता के बाद उन्हें भी आराम की जरूरत होती है। अतः अपना काम समाप्त करने के बाद ईसा कुछ समय के लिए भीड़ से दूर शांत रहना चाहते हैं। इसका सिर्फ एक ही मतलब था प्रार्थना के लिए समय खोजना। इस प्रकार आज ईसा हमें बतलाना चाहते हैं कि प्रभु के दिन में भी उचित और आवश्यक कामों को करते हुए अपनी व्यस्तता में भी प्रार्थना के लिए समय देना आवश्यक है।

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