आत्मसमर्पण

आज का सुसमाचार येसु का अनुसरण करने के बारे में वर्णन करता है। यह विषयवस्तु- हमें आत्मसमर्पण की ओर चिंतन करने के लिए प्रेरित करता है। येसु का अनुसरण करने का मतलब है दोहरे मृत्यु के विषय में सही समझ रखना। मृत्यु का तात्पर्य अपनी इच्छाशक्ति, संकल्प और बुद्धि को नियंत्रण में नहीं रखना और संसार, परिवार एवं अपने मनोभावों के मोह- माया में खो जाना ही मृत्यु है। येसु इस बात को स्पष्ट करते हैं कि जो उनका अनुसरण करता है वह उसके लिए दुनियाई चीजों का परित्याग करे, आत्म त्याग करे। हम दो इच्छा को धारण नहीं कर सकते हैं- एक ईश्वर की और दूसरी हमारी खुद की। हम मनुष्य की परंपरा का अनुसरण करेंगे तो ईश्वर की आज्ञा को नहीं मान सकते। ईश्वर और इंसान में भिन्नता है- प्रत्येक व्यक्ति अपना दैनिक कार्य की योजना बना सकता है- लेकिन येसु के लिए बना सकता चूँकि वे अपने पिता द्वारा उनकी योजना सुनिश्चित है इसलिये येसु पिता के अधीन रहकर उन्हीं की इच्छा पूरी करते हैं। इसी प्रकार हमें भी अपने लिए ईश्वर की योजना को जानने के लिए प्रार्थना करनी है।

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